स्वास्थ्य की रक्षा की कुछ बाते जान ले और शरीर स्वस्थ रहे :-
1)
गाजर का हलवा :- गाजर का पीला हिस्सा निकाल दिया, उसमें लोहतत्व और विटामिन्स ‘ए’ भरपूर मात्रा में है | गाजर का हलवा बना रखा ... फ्रिज है तो रखे ...रोज खा सकते है |
इसके फायदे - इससे खून बढ़ता है, नेत्रज्योति बढती है, हृदय और मस्तिक के लिए लाभदायक है और वायुशामक है | ८० प्रकार की बीमारियाँ वायु से होती है | गाजर का हलवा वायु को मारता है | गाजर वायु नाशक है |
2)
खजूर और सिंघाड़े :- सिंघाड़े का प्योर आटा मिलेगा ४०,४२,४५ रूपये किलो तक | सिंघाड़े का आटा घी में सेक लिया | जितना आटा सिंघाड़े का घी में सेका उतना खजूर कुचल के दोनों मिलाकर आटा बना लिया जैसे भाकरी, रोटी बनाते ऐसा आटा बन गया | उसे ५-६ ग्राम की गोली-लड्डू बना लिया | सुबह चबा-चबाके दो-तीन खाये फिर थोड़ी देर कुछ न खाये, भूख लगी तो दूध पीयो |
इसके फायदे - वे गोलियाँ जल्दी से खून बनायेगी, वीर्य बनायेगी, बल बनायेगी, जीवन में उत्साह वृद्धि, प्रसन्नता और चेहरे पर निखार, सौंदर्य, गर्भ पोषक और माँ के दूध में वृद्धि करनेवाली, पुरुष का वीर्य भी इससे बढ़ता है, बुढ़ापे को जवानी में ये बदल सकता है और सस्ता भी है | ये सर्दी पाक बड़ा ताकत देता है |
3)
मेथी की सुखडी :- मेथी का आटा, मेथी पीस ली आटा बन गया | मेथी आटा घी में सेककर पुराना गुड, थोडी-सी सौंठ मिलाकर सुखडी बना दी |
इसके फायदे - ये सुखडी खाने से महिलाओं को कमरदर्द, बाईओ कों-भाईओ को जोडों का दर्द, सायटिका, हड्डीयों की कमजोरी सब ठीक हो जायेगा |
4)
चन्द्रशूर की खीर :- ये सर्दियों में खाने योग्य चन्द्रशूर की खीर (पंसारी के यहाँ मिलाता है चन्द्रशूर) उसमें लोहतत्व, फोसफोरस और कँल्शियम होने से कमरदर्द दूर करने की उसमें क्षमता है | १२ वर्ष ऊपर के बच्चे को ४० दिन तक खिलाये सुबह खाली पेट ..... उनका कद बढ़ेगा और दुसरे लोग भी खायेंगे तो शरीर में मजबूती होगी |
Key Health Tips for Winter :-
Some key health related tips for winter season
1)
Carrot porridge: Scrape out the inner yellow core of the carrots, use carrots as they are rich in iron and vitamin 'A'. Make sufficient quantity and keep it in the fridge.... can be taken daily.
Benefits: This improves blood growth and eye power. It is also beneficial for heart and head, and eliminates wind related problems. There are 80 types of diseases that can occur due to wind. Carrot porridge inhibits effect of wind.
2)
Dates and Water chestnuts(Singhada or Paniphal): Pure flour made of water chesnuts are available for 40-45 Rs. per kilo. Fry this flour with ghee first. Then, mash equal quantities of dates and made a dough using it. Make small tablets or dumpling each weighing 5-6 grams. Take 2 -3 tablets in the morning. Chew them properly and donot eat anything for a while... If hungry, you can drink milk.
Benefits: These tablets will swiftly aid in blood growth, semen growth, deliver strength, bring forth enthusiasm in life, happiness and glowing radiance on face, beauty, provides strength to women who are conceiving a baby and aids formation of breast milk and can also rejuvenate oldage. This technique is quite inexpensive too. This winter medicine delivers a lot of strength.
3)
Fenugreek(Methi) Sukhdi: Take methi flour and fry it with ghee along with old jaggery, then mix with dry ginger and make sukhdi.
Benefits: Taking this helps remove back ache in women, joint pain in men-women, sciatica, weakness in bones.
4)
Garden cress(Chandrashoor pudding): During winter, make pudding from chandrashoor which is high in iron, phosphorus and calcium content. This helps remove back-pains. For children above 12 years, they should have this regularly for 40 days every morning on an empty stomach... this will aid body growth and will offer strength to others as well.
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- Pujya Bapuji Ujjain 21st Oct' 2012
बलसंवर्धक शीत ऋतू
(२२
अक्टूबर २०१२ से १७ फरवरी २०१३ तक)
आध्यात्मिक
भोजन
आत्मदृष्टि
के बिना शरीरपुष्टि निरर्थक है | अत: पकृत भोजन के साथ आध्यात्मिक भोजन भी आवश्यक
है | सत्शास्त्र-पठन,सत्संग का श्रवण-मनन तथा तदनुसार आचरण यह उसका स्वरुप है | इस
आहार से आत्मा की तुष्टि-पुष्टि होती है | आत्मबल के उत्कर्ष से ही सच्चे
स्वास्थ्य व सच्चे जीवन की प्राप्ति होती है |
महर्षि कश्यप ने कहा है : न च आहारसम किंचित भैषज्यं उपलभ्यते |
देश, काल,प्रकृति, मात्रा व जठराग्नि के अनुसार लिये गये
आहार के समान कोई औषधि नहीं है | केवल सम्यक आहार-विहार से व्यक्ति उत्तम
स्वास्थ्य व् दीर्घ आयु की प्राप्ति कर सकता है | प्रदीप्त जठराग्नि के कारण शीत
ऋतू पौष्टिक व बलवर्धक आहार सेवन के लिए अनुकूल होती है | इन दिनों में उपवास,
अल्प व रुखा आहार सप्तधातु तथा बल का ह्रास करता है |
शीतकाल में सेवन योग्य पुष्टिदायी व्यंजन :
१) गाजर का हलवा : गाजर में लौह तत्व व विटामिन ‘ए’
काफी मात्र में पाये जाते है | यह वायुशामक,ह्रदय व मस्तिष्क की नस- के लिए
बलप्रद, रक्तवर्धक व नेत्रों के लिए लाभदायी है |
विधि : गाजर के भीतर का पीला भाग हटा के उसे कद्दूकस कर घी में
सेंक लें | आधी मात्र में मिश्री मिलाकर धीमी आँच पर पकाये | तैयार होने पर
इलायची, मगजकरी के बीज व थोड़ी-सी खसखस डाल दें | (दूध का उपयोग न करे |)
२) कद्दू के बीज
की बर्फी : काजू में जैसे मौलिक व पुष्टिदायी तत्व पाए जाते है, वैसे ही कद्दू
के बीजों में भी होते है | बीज की गिरी को घी में सेंक के समभाग चीनी मिला के
बर्फी या छोटे-छोटे लड्डू बना लें | एक – दो लड्डू सुबह चबा-चबाकर खाए |
विशेस रूप से बालकों
के लिए यह स्वादिष्ट, बल व बुद्धिवर्धक खुराक है |
३) खजूर की
पुष्टिदायी गोलियाँ : सिघांड़े के आते को घी में सेंक ले | आते के समभाग खजूर
को मिक्सी में पीसकर उसमें मिला ले | हलका सा सेंककर बेर के आकार की गोलियाँ बना
लें | २-४ गोलियाँ सुबह चूसकर खायें, थोड़ी देर बाद दूध पियें | इससे अतिशीघ्रता से
रक्त की वृद्धी होती है | उत्साह, प्रसन्नता व वर्ण में निखार आता है | गर्भिणी
माताएँ छठे महीने से यह प्रयोग शुरू करे | इससे गर्भ का पोषण व प्रसव के बाद दूध
में वृद्धी होगी | माताएँ बालकों को हानिकारक चॉकलेटस की जगह ये पुष्टिदायी
गोलियाँ खिलायें |
४) वीर्यवर्धक
योग : ४-५ खजूर रात को पानी में भिगो के रखे | सुबह १ चम्मच मक्खन, १ इलायची व
थोडा – सा जायफल पानी में घिसकर उसमें मिला के खली पेट लें | यह वीर्यवर्धक प्रयोग
हो |
५) मेथी की सुखडी
: मेथीदाना हड्डियों व जोड़ों को मजबूत बनाता है | मेथी का आटा, पुराना गुड व घी
समान भाग लें | आटा घी में सेंक के पुराना गुड व थोड़ी सोंठ मिलाकर सुखडी (बर्फी)
बना लें | यह उत्तम वायुशामक योग हाथ-पैर, कमर व जोड़ों के दर्द, सायटिका तथा
दुग्धपान करनेवाली माताओं व प्रौढ़ व्यक्तिओं के लिए विशेष लाभदायी है |
६) चन्द्रशूर की
खीर : चन्द्रशुर (हालों) में प्रचंड मात्रा में लौह, फॅास्फोरस व कैल्शियम
पाया जाता है | १२ वर्ष से ऊपर के बालकों को इसकी खीर बनाकर सुबह खली पेट ४० दिन
तक खिलाने से कद बढ़ता है | माताओं को दूध बढ़ाने के लिए यह खीर खिलाने का परम्परागत
रिवाज है | इससे कमर का दर्द, सायटिका व पुराने गठिया में भी फायदा होता है |
सूचना : पौष्टिक पदार्थों का सेवन सुबह खली पेट अपनी पाचनशक्ति
के अनुसार करने से पोषक तत्वों का अवशोषण ठीक से होता है |उनका सम्यक पाचन होने पर
ही भोजन करना चाहिए |
Winter : The season to build bodily strength :-
Food
for the Spirit Nourishment of the body is useless in absence of
Self-satisfaction. Therefore, spiritual food too should be taken along with
physical food. It includes reading of spiritual books; hearing satsang
discourses, reflecting on and practice of the teachings. This food satiates and
nourishes the Self. Elevation of Self-force alone helps one enjoy true health
and true life.
Maharishi
Kashyap says,
न च आहारसमं किंचित भैषज्यं उपलभ्यते ।
‘There is no medicine equal to food
taken appropriate to time (season), place, one’s constitution, requirement and
appropriate food and mode of living, one can have best health and long life.
Because of increased appetite, winter
is suitable for consumption of nutritious and strength-promoting foods. Fasting
or taking less food and dry substances depletes the seven Dhatus and strength
in this season.
Nutritious dishes for the winter:
(1) Carrot halua: Carrot is a rich source of iron and
vitamin A. It pacifies Vata. It strengthens the heart and nervous systems. It
is blood-promoting and good for eyes.
Method of preparations: Grate carrots and then fry it in
ghee. The central yellow portion of the carrots should be removed before
grating. Add sugar candy equal to half the quantity of grated carrots and cook
on a low flame. Add cardamom, watermelon
seeds and poppy seeds to it when it is cooked. Don’t add milk.
(2) Pumpkin seeds barfi: Pumpkin seeds contain essential
nutrients like cashew nuts. Fry the kernels of pumpkin seeds in ghee and mix
with equal quantity of sugar. Make it into small balls (laddoos) or cut it in
cuboids. Eat one or two laddoos in the morning with good mastication. It is
especially beneficial for children. It increases their physical strength
intellect and it is tasteful.
(3) Nourishing date sweets: Fry the flour of dried water
chestnuts in ghee. Mix it with equal quantity of dates with the help of a
mixer-grinder. Fry again for a little while and make small jujube sized
tablets. Suck 2-4 tables in the morning followed by milk. It rapidly increases
blood formation. It makes one energetic, cheerful and improves complexion.
Pregnant women should start taking this from 6th month of gestation.
It nourishes the foctus and increases lactation after delivery. Mothers should
give these tablets to their children in place of harmful chocolates.
(4) A semen-promoting yoga : Soak 4-5 soft dates in water overnight. Mix it with a teaspoonful
of butter, one cardamom and a little of nutmeg outer covering of the
nutmegouter in the morning and take it on an empty stomach. It is semen-promoting.
(5) Fenugreek sweets : Fenugreek seeds strengths the bones
and joints. Take fenugreek seeds powder, old gur and ghee in equal quantities.
Fry the fenugreek powder in ghee, and mix it with jiggery and a little dry
ginger. Cut it in cuboids. This is an excellent Vata pacifier. It is useful in
pains in limbs, backache, joint pains and sciatica. It is beneficial for
lactating mothers and the aged.
(6) Water Cress pudding: Chandra-shurs (Lepidium Sativum)
contains iron, calcium and phosphorus in abundant quantities. Water Cress
pudding (prepared by boiling it in milk and adding sugar) taken on an empty
stomach for forty days by children above 12 years of age increases their
height. It is a custom in India to give it to the lactating mothers. It helps
in backache, sciatica and chromic goat.
Note: Nutritious foods should be taken on an empty stomach and according
to one’s digestive capacity for proper absorption of its nutrients. Regular
meals should be taken after the nutritious foods are completely digested.
- Rishi Prasad Nov' 2012