मेथी :
मेथी को ताजा, सुखकर या
इसके बीजों को अकुंरित करके उपयोग में लाया जाता हैं | इसका पाक सर्दियों में बल
तथा पुष्टि वर्धक होता है |
- मेथी की भाजी कडवी, गर्म, पित्तवर्धक, हल्की, रक्तशुद्धिकर, मल-मूत्र साफ़ लानेवाली, ह्रदय के लिए बलप्रद, अफरा, उदर-विकार, संधिवात, शारीरिक दर्द तथा वायुदोष में अत्यंत हितकर हैं | यह माता के दूध को बढाती है |
- प्रमेह में रोज १-२ चम्मच मेथी-दाने पानी में भिगोकर सब्जी बनाकर या मेथी-दाने का चूर्ण पानी के साथ लेने से लाभ होता है | मेथी के पत्तों की सब्जी भी लाभदायी है |
- पाचन-तंत्र की कमजोरी तथा शौचसबंधी तकलीफों में चौथाई कप मेथी के पत्तों के रस में १ चम्मच शहद मिलाकर लेने से अत्यधिक लाभ होता है |
- मेथी के पत्तों का रस बालों में लगाने से रुसी व बालों का झड़ना कम होता है, बाल काले व मुलायम बनते हैं | साबुन का उपयोग न करें |
- उसके नियमित सेवन से महिलाओं में खून की कमी नहीं होती |
सावधानी
: पित्त-प्रकोप, अम्लपित्त, दाह में मेथी न खायें |
पालक :
- गुणों की दृष्टि से पालक सभी भाजियों में श्रेष्ठ हैं | इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’, ‘ई’, प्रोटीन-उत्पादक ‘एमिनो एसिड’ तथा अन्य खनिज पदार्थ पाए जाते हैं |
- पालक शीतल, शोथहर (सुजन मिटानेवाली), मूत्रल, पेट साफ़ करनेवाली, वायुवर्धक, श्वास, कफ, पित्त व रक्तविकार शामक, रक्तवर्धक तथा शोधक हैं | यह हड्डियों की मजबूती व शारीरिक विकास में सहायक हैं |
औषधीय प्रयोग :
- सभी प्रकार के मित्र-विकारों में चौथाई कप पालक-रस में एक हरे नारियल का पानी मिला के सुबह-शाम खाली पेट पियें |
- कफ जमने पर पालक के पत्तों की चाय बनाकर पियें |
सावधानी :
- पालक को गर्म पानी से धोकर प्रयोग करें |
- बायु प्रकृति के लोग इसका सेवन न करें |
-लोक कल्याण सेतु, अक्तूबर २०१३ से
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