आँख हमारे शरीर के सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण व कोमल अंगों में से एक है | वर्तमान समय में आँखों की समस्याओं से बहुत लोग ग्रस्त देखे जाते हैं , जिनमे विद्यार्थियों की भी बड़ी संख्या है | निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाय तो आँखों को जीवनभर स्वस्थ रख सकते हैं और चश्मे से भी छुटकारा पा सकते हैं |
आँखों के लिए हानिकारक
o कम प्रकाश में, लेटे –लेटे व चलते वाहन में पढना आँखों के लिए बहुत हानिकारक हैं |
o मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, कम्प्यूटर आदि की स्क्रीन को अधिक समय तक लगातार देखने व हेयरड्रायर के उपयोग से आँखों को बहुत नुकसान होता है |
o आँखों को चौंधिया देनेवाले अत्यधिक तीव्र प्रकाश में देखना, ग्रहण के समय सूर्य या चन्द्रमा को देखना आँखों को हानि पहुँचता है |
o सूर्योदय के बाद सोये रहने, दिन में सोने और रात में देर तक जागने से आँखों पर तनाव पड़ता है और धीरे-धीरे आँखों की रोशनी कम तथा वे रुखी व तीखी होने लगती है |
o तेज रफ्तार की सवारी के दौरान आँखों पर सीधी हवा लगने से तथा मल-मूत्र और अधोवायु के वेग को रोकने एवं ज्यादा देर तक रोने आदि से आँखें कमजोर होती है |
o सिर पर कभी भी गर्म पानी न डालें और न ही ज्यादा गर्म पानी से चेहरा धोया करें |
o खट्टे, नमकीन, तीखे, पित्तवर्धक पदार्थों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए |
नेत्र - रक्षा के उपाय
o पढ़ते समय ध्यान रखें कि आँखों पर सामने से रोशनी नहीं आये, पीठ के पीछे से आये, आँख तथा पुस्तक के बीच की दूरी ३० से.मी. से अधिक हो | पुस्तक आँखों के सामने नहीं, नीचे की ओर हो | देर रात तक पढने की अपेक्षा प्रात: जल्दी उठकर पढ़ें |
o तेज धूप में धूप के चश्मे या छाते का उपयोग करें | धूप में से आकर गर्म शरीर पर तुरंत ठंडा पानी न डालें |
o चन्द्रमा व हरियाली को देखना आँखों के लिए विश्रामदायक हैं |
o सुबह हरी घास पर १५ – २० मिनट तक नंगे पैर टहलने से आँखों को तरावट मिलती है | (ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१४, पृष्ठ २७ पर दिये गये नेत्र-सुरक्षा के उपायों का भी लाभ लें|)
कुछ विशेष प्रयोग
o अंजन : प्रतिदिन अथवा कम-से- सप्ताह में एक बार शुद्ध काले सुरमे (सौवीरांजन) से अंजन करना चाहिए | इससे नेत्ररोग विशेषत: मोतियाबिंद का भय नहीं रहता |
o जलनेति : विधिवत जलनेति करने से नेत्रज्योति बढती है | इससे विद्यार्थियों का चश्मा भी छूट सकता हैं | (विधि हेतु आश्रम की पुस्तक ‘योगासन’ का पृष्ठ ४३ देखें )
o नेत्रों के लिए विशेष हितकर पदार्थ : आँवला, गाय का दूध व घी, शहद, सेंधा नमक, बादाम, सलाद, हरी सब्जियाँ – विशेषत: डोडी की सब्जी, पालक, पुनर्नवा, हरा धनिया, गाजर, अंगूर, केला, संतरा, मुलेठी, सौंफ, गुलाबजल, त्रिफला चूर्ण |
o सर्वांगासन नेत्र-विकारों को दूर करने और नेत्रज्योति बढ़ानेवाला सर्वोत्तम आसन है | (आश्रम की पुस्तक ‘योगासन’ का पृष्ठ १५ देखें |)
आँखों के लिए हानिकारक
o कम प्रकाश में, लेटे –लेटे व चलते वाहन में पढना आँखों के लिए बहुत हानिकारक हैं |
o मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, कम्प्यूटर आदि की स्क्रीन को अधिक समय तक लगातार देखने व हेयरड्रायर के उपयोग से आँखों को बहुत नुकसान होता है |
o आँखों को चौंधिया देनेवाले अत्यधिक तीव्र प्रकाश में देखना, ग्रहण के समय सूर्य या चन्द्रमा को देखना आँखों को हानि पहुँचता है |
o सूर्योदय के बाद सोये रहने, दिन में सोने और रात में देर तक जागने से आँखों पर तनाव पड़ता है और धीरे-धीरे आँखों की रोशनी कम तथा वे रुखी व तीखी होने लगती है |
o तेज रफ्तार की सवारी के दौरान आँखों पर सीधी हवा लगने से तथा मल-मूत्र और अधोवायु के वेग को रोकने एवं ज्यादा देर तक रोने आदि से आँखें कमजोर होती है |
o सिर पर कभी भी गर्म पानी न डालें और न ही ज्यादा गर्म पानी से चेहरा धोया करें |
o खट्टे, नमकीन, तीखे, पित्तवर्धक पदार्थों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए |
नेत्र - रक्षा के उपाय
o पढ़ते समय ध्यान रखें कि आँखों पर सामने से रोशनी नहीं आये, पीठ के पीछे से आये, आँख तथा पुस्तक के बीच की दूरी ३० से.मी. से अधिक हो | पुस्तक आँखों के सामने नहीं, नीचे की ओर हो | देर रात तक पढने की अपेक्षा प्रात: जल्दी उठकर पढ़ें |
o तेज धूप में धूप के चश्मे या छाते का उपयोग करें | धूप में से आकर गर्म शरीर पर तुरंत ठंडा पानी न डालें |
o चन्द्रमा व हरियाली को देखना आँखों के लिए विश्रामदायक हैं |
o सुबह हरी घास पर १५ – २० मिनट तक नंगे पैर टहलने से आँखों को तरावट मिलती है | (ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१४, पृष्ठ २७ पर दिये गये नेत्र-सुरक्षा के उपायों का भी लाभ लें|)
कुछ विशेष प्रयोग
o अंजन : प्रतिदिन अथवा कम-से- सप्ताह में एक बार शुद्ध काले सुरमे (सौवीरांजन) से अंजन करना चाहिए | इससे नेत्ररोग विशेषत: मोतियाबिंद का भय नहीं रहता |
o जलनेति : विधिवत जलनेति करने से नेत्रज्योति बढती है | इससे विद्यार्थियों का चश्मा भी छूट सकता हैं | (विधि हेतु आश्रम की पुस्तक ‘योगासन’ का पृष्ठ ४३ देखें )
o नेत्रों के लिए विशेष हितकर पदार्थ : आँवला, गाय का दूध व घी, शहद, सेंधा नमक, बादाम, सलाद, हरी सब्जियाँ – विशेषत: डोडी की सब्जी, पालक, पुनर्नवा, हरा धनिया, गाजर, अंगूर, केला, संतरा, मुलेठी, सौंफ, गुलाबजल, त्रिफला चूर्ण |
o सर्वांगासन नेत्र-विकारों को दूर करने और नेत्रज्योति बढ़ानेवाला सर्वोत्तम आसन है | (आश्रम की पुस्तक ‘योगासन’ का पृष्ठ १५ देखें |)
- स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – जून २०१५ से