इन दिनों में कोल्ड
ड्रिंक्स, मैदा, दही, पचने में भारी व चिकनाईवाले पदार्थ, पिस्ता, बादाम, काजू,
खोआ आदि दूर से ही त्याग देने चाहिए | होली के बाद खजूर नहीं खाना चाहिए |
मुलतानी मिटटी से
स्नान, प्राणायाम, १५ दिन तक बिना नमक का भोजन, सुबह खाली पेट २० – २५ नीम की
कोंपलें व १ – २ काली मिर्च का सेवन स्वास्थ्य की शक्ति बढायेगा | भुने हुए चने,
पुराने जौ, लाई, खील (लावा) – ये चीजें कफ को शोषित करती हैं |
कफ अधिक है तो गजकरणी
करें, एक-डेढ़ लीटर गुनगुने पानी में १० – १५ ग्राम नमक डाल दो | पंजों के बल बैठ
के पियों कि वह पानी बाहर आना चाहे | तब दाहिने हाथ की दो बड़ी ऊँगलियाँ मुँह में
डालकर उलटी करो, पिया हुआ सब पानी बाहर निकाल दो | पेट बिल्कुल हलका हो जाय तब
पाँच मिनट तक आराम करो | दवाइयाँ कफ का इतना शमन नहीं करेंगी जितना यह प्रयोग
करेगा | हफ्ते ,में एक बार ऐसा कर लें तो आराम से नींद आयेगी | इस ऋतू में
हलका-फुलका भोजन करना चाहिए | (गजकरणी की विस्तृत जानकारी हेतु पढ़े आश्रम की
पुस्तक’योगासन’)
होली के दिन सिर पर
मिटटी लगाकर स्नान करना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए : “पृथ्वी
देवी ! तुझे नमस्कार है | जैसे विघ्न-बाधाओं को तू धारण करते हुए भी यशस्वी है,
ऐसे ही मैं विघ्न-बाधाओं के बीच भी संतुलिंत रहूँ | मेरे शरीर का स्वास्थ्य और मन
की प्रसन्नता बनी रहे इस हेतु मैं आस इस होली के पर्व को, भगवान नारायण को और
तुम्हे प्रणाम करता हूँ |”
स्त्रोत - ऋषिप्रसाद – मार्च – २०१६ से
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