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Sunday, March 6, 2016

पर्वतासन

लाभ : १] प्राणशक्ति बलिष्ठ होती हैं |
२] छाती का विकास और फेफड़ों का शोधन होकर बल बढ़ता है |
३] रीढ़ की हड्डी एवं पसलियों के साथ भुजाओं, पीठ, पेट, बस्ती प्रदेश, पार्श्व की मांसपेशीयों व आमतौर पर अक्रिय रहनेवाले कमर के भाग को भी इस आसन से उचित व्यायाम मिल जाता हैं |
४] बाहर निकला हुआ पेट कम होता है |
५] हाथों की उँगलियाँ व हाथ मजबूत बनते हैं |
६] प्रसव के बाद स्त्रियों के पेट की त्वचा में आया ढीलापन ठीक होता हैं |

विधि : पद्मासन में बैठे | दोनों हाथों की ऊँगलियों को आपस में फँसा लें | श्वास लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर इसप्रकार ले जायें कि हथेलियाँ बाहर की ओर खुली रहें | शरीर तथा हाथों को अच्छी तरह से ऊपर की ओर खींचे और सीने को फुलायें | यथाशक्ति श्वास को अंदर रोके रखें | फिर धीरे – धीरे श्वास छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आ जायें | थोड़ी देर रुककर पुन: दोहरायें, इस प्रकार ५ – ७ बार इसका अभ्यास करें |

यह आसन दिन में कभी भी कर सकते हैं, सिर्फ पेट भरा हुआ नहीं होना चाहिए | इसका अभ्यास कुर्सी पर बैठे- बैठे भी कर सकते हैं | यह कंधो और पीठ के तनाव को क्रम करता हैं तथा शरीर को पुन: स्फूर्तिवान बनाता हैं |

अन्य प्रकार : हाथों की ऊँगलियों को खुला रख के या दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में रखकर भी यह आसन किया जाता हैं | 


स्त्रोत - ऋषिप्रसाद –मार्च – २०१६ से

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