- असाध्य रोगों में सुश्रुत भगवान् (आयुर्वेद ग्रन्थ रचयिता) ने प्राणायाम करके इस मंत्र का जप करने का बताया है :- "अच्युताय गोविन्दाय, अनंताय नाम भेषजाम नश्यन्ति सर्व रोगाणी, सत्यं सत्यं वदाम्यहम l"
- सुबह सूर्य नारायण के सामने सिर को अच्छी तरह ढककर 7-8 मिनट पेट की तरफ और 8-10 मिनट धूप पीछे की तरफ लगे ऐसे बैठे, उसी में लम्बे श्वास लें और वज्रासन में बैठकर श्वास अंदर-बाहर (पेट अंदर ज्यादा और बाहर कम) करें l
- सुश्रुत भगवान ने, जिन्होंने आयुर्वेद का ग्रन्थ बनाया उन्होंने लिखा हमारी औषधि, शल्यक्रिया सब जब व्यर्थ हुए तो एक महा-औषधि है-भगवन्नाम का आश्रय, उस से रोग मिटते हैं | वह मंत्र और जपने की विधि इस प्रकार है - श्वास अन्दर लें और मन में बोले: "नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमंत बीरा" और श्वास छोड़ दें | अब श्वास बाहर रोके और जपे "नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमंत बीरा "| श्वास अन्दर रोककर एक-सवा मिनट तक जप करें और श्वास छोड़ दें | फिर श्वास बाहर रोक कर ५० सेकंद तक जप करें | ऐसा २-३ बार करें | कितनी भी बीमारी हो, खीचकर जठर में आ जायेगी | डॉक्टर बोलते हैं ठीक नहीं होगा वह भी ठीक होने लगेगा |
Delhi Guru Punam 07-06-09
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