Tips for an all round Success in Life from His Holiness Saint Shri Asharamji Bapu.
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Friday, October 29, 2010
गंजापन दूर करने के लिए
बल व स्फूर्ति के लिए
भूख बढ़ाने के लिए
बच्चों के लिए शक्ति संवर्धक नाश्ता
बाजरे के आटे में तिल मिलाकर बनायी गयी रोटी पुराने गुड़ व घी के साथ खाना, यह शक्ति-संवर्धन का उत्तम स्रोत है। 100 ग्राम बाजरे से 45 मि.ग्रा कैल्शियम, 5 मि.ग्रा. लौह व 361 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। तिल व गुड़ में भी कैल्शियम व लौह प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। इससे जल्दी भूख भी नहीं लगेगी । सर्दियों में ही करो ।
Wednesday, October 27, 2010
पंचगव्य का पान करते समय
"हे सूर्यदेव! हे अग्निदेव! आप तन, मन, बुद्धि और हड्डियों तक के रोगों को नष्ट करने वाले हैं। मैं इसका पान करता हूँ ।" ऐसा ३ बार बोलें । फिर २-३ घंटे तक कुछ नहीं खाना -पीना चाहिये ।
Saturday, October 23, 2010
बड़ ( बरगद )
· बवासीर , वीर्य का पतलापन , शीघ्रपतन , प्रमेह स्वप्नदोष आदि रोगों में बड़ का दूध अत्यंत लाभकारी है | प्रातः सूर्योदय के पूर्व वायुसेवन के लिए जाते समय २-३ बताशे साथ में ले जाये | बड़ की कलि को तोड़कर एक-एक बताशे में बड़ के दूध की ४-५ बूंद टपकाकर खा जायें | धीरे-धीरे बड़ के दूध की मात्रा बढातें जायें | ८ – १० दिन के बाद मात्रा कम करते-करते चालीस दिन यह प्रयोग करें |
· बड़ का दूध दिल , दिमाग व जिगर को शक्ति प्रदान करता है एवं मूत्र रुकावट ( मूत्रकृच्छ ) में भी आराम होता है | इसके सेवन से रक्तप्रदर व खुनी बवासीर का रक्तस्राव बंद होता है | पैरों की एडियों में बड़ का दूध लगाने से वे नहीं फटती | चोट , मोच और गठिया रोग में इसकी सुजन पर इस दूध का लेप करने से बहुत आराम होता है |
· वीर्य विकार व कमजोरी के शिकार रोगियों को धैर्य के साथ लगातार ऊपर बताई विधि के अनुसार इसका सेवन करना चाहिए |
· बड़ की छाल का काढा बनाकर प्रतिदिन एक कप मात्रा में पीने से मधुमेह ( डायबिटीज ) में फ़ायदा होता है व शरीर में बल बढ़ता है |
· उसके कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर कूट कर पीस लें | आधा लीटर पानी में एक चम्मच चूर्ण डालकर काढा करें | जब चौथाई पानी शेष बचे तब उतारकर छान लें और पीसी मिश्री मिलाकर कुनकुना करके पियें | यह प्रयोग दिमागी शक्ति बढाता है व नजला-जुकाम ठीक करता है |
ऋषि प्रसाद-जून 1997
पालक
· पालक के पत्तों में पर्याप्त औषधीय गुण विद्यमान है | पालक में लोह और ताम्बे के अंश होने के कारण यह पाण्डुरोग के लिए पथ्य है | यह रक्त को शुद्ध व हड्डियों को मजबूत बनाती है |
· पाचन तंत्र के लिए यह अत्यंत उपयोगी है | इसके नियमित सेवन से उदर-विकारों व कब्ज से मुक्ति मिलती है व भूख भी खुलकर लगती है |
· इसके नियमित सेवन से गर्भवती महिला को प्रसव के समय अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता |
· यह वायु करनेवाली , शीतल व मधुमेह के रोग में भी अत्यंत गुणकारी है |
· इसके बीज यकृतरोग , पीलिया व पित्तप्रकोप को मिटाते है |
· कफ और श्वास संबंधी रोगों में भी ये हितकारी है |
· खांसी और गले की जलन तथा फेफड़ों की सुजन में पालक के रस के गराटे करने से लाभ होता है |
· बाल अधिक झड़ने तथा बालों में रुसी की शिकायत होने पर पालक के उबले रस में नींबू का रस समानमात्रा में मिलाकर सिर धोने से इस समस्या से छुटकारा मिलेगा |
· दांतों में पायरिया की बिमारी होने पर कुछ दिन रोज प्रातःकाल आधा गिलास पालक का रस खाली पेट लें | इसके अलावा कच्चा पालक चबा-चबाकर खायें | पालक के रस में गाजर का रस मिलाकर पीने से मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है |
· पालक के पत्ते नीम की पत्तियों के साथ पीसकर बनाया हुआ लेप मवाद भरे फोड़ों पर लगाने से खराब रक्त बाहर निकल जाएगा और फोड़ा ठीक हो जाएगा |
· जले हुए अंग पर पालक के पीसे हुए पत्तों का तत्काल लेप करने से जलन शांत होगी व फफोले नहीं पड़ेंगे |
· किसी दवा का प्रतिकूल असर ( साइड इफेक्ट ) होने या कोई विषैली वस्तु खा लेने पर पानी में पालक उबालकर प्रभावित व्यक्ति में अदरक का थोड़ा-सा रस मिलाकर प्रभावित व्यक्ति को देने से तत्काल राहत मिलती है |
· रक्तालप्ता की बिमारी में पालक की सब्जी का नियमित सेवन व आधा गिलास पालक के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर ५० दिन पियें | इससे काफी फ़ायदा होगा |
· पालक के नियमित सेवन से समस्त विकार दूर होकर चेहरे पर लालिमा , शरीर में स्फूर्ति , उत्साह , शक्ति-संचार व रक्त -भ्रमण तेजी से होता है | इसके निरंतर सेवन से चेहरे के राग में निखार आ जाता है | नेत्रज्योति बढती है |
· पालक पीलिया , उन्माद , हिस्टीरिया , प्यास , जलन , पित्तज्वर में भी लाभ करता है |
विशेष : पालक की सब्जी वायु करती है अतः वर्षाकाल में इसका सेवन न करे | इसके पत्तों में सूक्ष्म जंतु भी होते है अतः : गर्म पानी से धोने के बाद ही इसका उपयोग करें |
· अच्छी सेहत के लिए हल्का गर्म पानी हल्का गुनगुना पानी पीने से शरीर पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ता है , इससे खून का दौरा भी बढ़ता है और रोग प्रतिरोधी शक्ति भी बढ़ती है जिससे शरीर से विषैले पदार्थ मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते है | तरिका : पानी को हल्का गर्म करके थर्मस में भर ले | उसमें से थोडा-थोड़ा सारा दिन पीते रहें |
ऋषि प्रसाद -जून १९९७
गोवर्धन-पूजा के दिन
धर्मसिन्धु आदि शास्त्रों के अनुसार गोवर्धन-पूजा के दिन गायों को सजाकर, उनकी पूजा करके उन्हें भोज्य पदार्थ आदि अर्पित करने का विधान है। गौ-पूजन का मंत्रः
लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।
ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2010