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Saturday, October 23, 2010

बड़ ( बरगद )

· बवासीर , वीर्य का पतलापन , शीघ्रपतन , प्रमेह स्वप्नदोष आदि रोगों में बड़ का दूध अत्यंत लाभकारी है | प्रातः सूर्योदय के पूर्व वायुसेवन के लिए जाते समय २-३ बताशे साथ में ले जाये | बड़ की कलि को तोड़कर एक-एक बताशे में बड़ के दूध की ४-५ बूंद टपकाकर खा जायें | धीरे-धीरे बड़ के दूध की मात्रा बढातें जायें | १० दिन के बाद मात्रा कम करते-करते चालीस दिन यह प्रयोग करें |

· बड़ का दूध दिल , दिमाग व जिगर को शक्ति प्रदान करता है एवं मूत्र रुकावट ( मूत्रकृच्छ ) में भी आराम होता है | इसके सेवन से रक्तप्रदर व खुनी बवासीर का रक्तस्राव बंद होता है | पैरों की एडियों में बड़ का दूध लगाने से वे नहीं फटती | चोट , मोच और गठिया रोग में इसकी सुजन पर इस दूध का लेप करने से बहुत आराम होता है |

· वीर्य विकार व कमजोरी के शिकार रोगियों को धैर्य के साथ लगातार ऊपर बताई विधि के अनुसार इसका सेवन करना चाहिए |

· बड़ की छाल का काढा बनाकर प्रतिदिन एक कप मात्रा में पीने से मधुमेह ( डायबिटीज ) में फ़ायदा होता है व शरीर में बल बढ़ता है |

· उसके कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर कूट कर पीस लें | आधा लीटर पानी में एक चम्मच चूर्ण डालकर काढा करें | जब चौथाई पानी शेष बचे तब उतारकर छान लें और पीसी मिश्री मिलाकर कुनकुना करके पियें | यह प्रयोग दिमागी शक्ति बढाता है व नजला-जुकाम ठीक करता है |


ऋषि प्रसाद-जून 1997