Search This Blog

Friday, August 22, 2014

पाचन की तकलीफों में परम हितकारी : अदरक

आजकल लोग बिमारियों के शिकार अधिक क्यों हैं ? अधिकांश लोग खाना न पचना, भूख न लगना, पेट में वायु बनना, कब्ज आदि पाचन संबंधी तकलीफों से ग्रस्त हैं और इसीसे अधिकांश अन्य रोग उत्पन्न होते हैं | पेट की अनेक तकलीफों में रामबाण एवं प्रकृति का वरदान है अदरक | स्वस्थ लोगों के लिए यह स्वास्थ्यरक्षक है | बारिश के दिनों में यह स्वास्थ्य का प्रहरी है |

सरल है आँतों की सफाई व पाचनतंत्र की मजबूती

शरीर में जब कच्चा रस (आम) बढ़ता है या लम्बे समय तक रहते हैं, तब अनेक रोग उत्पन्न होते हैं | अदरक का रस आमाशय के छिंद्रों में जमे कच्चे रस एवं कफ को तथा बड़ी आँतों में जमे आँव को पिघलाकर बाहर निकाल देता है तथा छिद्रों को स्वच्छ कर देता है | इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है और पाचन-तंत्र स्वस्थ बनता है | यह लार एवं आमाशय का रस दोनों की उत्पत्ति बढाता है, जिससे भोजन का पाचन बढ़िया होता है एवं अरुचि दूर होती है |

आसान घरेलू प्रयोग :

स्वास्थ्य व भूख वर्धक, वायुनाशक प्रयोग


रोज भोजन से पहले अदरक को बारीक़ टुकड़े-टुकड़े करके सेंधा नमक के साथ लेने से पाचक रस बढकर अरुचि मिटती है | भूख बढती है, वायु नहीं बनती व स्वास्थ्य अच्छा रहता है |

रुचिकर, भूखवर्धक, उदररोगनाशक प्रयोग

१०० ग्राम अदरक की चटनी बनायें एवं १०० ग्राम घी में उसे सेंक लें | लाल होने पर उसमे २०० ग्राम गुड़ डालें व हलवे की तरह गाढ़ा बना लें | (घी न हो तो २०० ग्राम अदरक को कद्दूकश करके २०० ग्राम चीनी मिलाकर पाक बना लें |) इसमें लौंग, इलायची, जायपत्री का चूर्ण मीलायें तो और भी लाभ होगा | वर्षा ऋतू में ५ से १० ग्राम एवं शीत ऋतू में १०-१० ग्राम मिश्रण सुबह-शाम खाने से अरुचि, मंदाग्नि, आमवृद्धि, गले व पेट के रोग, खाँसी, जुकाम, दमा आदि अनेक तकलीफों में लाभ होता है | भूख खुलकर लगती है | बारिश के कारण उत्पन्न बीमरियों में यह अति लाभदायी है |

अपच: १] भोजन से पहले ताजा अदरक रस, नींबू रस व सेंधा नमक मिलाकर लें एवं भोजन के बाद इसे गुनगुने पानी से लें | यह कब्ज व पेट की वायु में भी हितकारी हैं |

२] अदरक, सेंधा नमक व काली मिर्च को चटनी की तरह बनाकर भोजन से पहले लें |

खाँसी, जुकाम, दमा: अदरक रस व शहद १० – १० ग्राम दिन में ३ बार सेवन करें | नींबू का रस २ बूँद डालें तो और भी गुणकारी होगा |

बुखार : तेज बुखार में अदरक का ५ ग्राम रस एवं उतना ही शहद मिलाकर चाटने से लाभ होता है | इन्फ्लुएंजा, जुकाम, खाँसी के साथ बुखार आने पर तुलसी के १० – १५ पत्ते एवं काली मिर्च के ६ – ७ दाने २५० ग्राम पानी में डालें | इसमें २ ग्राम सौंठ मिलाकर उबालें | स्वादानुसार मिश्री मिला के सहने योग्य गर्म ही पियें |

वातदर्द : १० मि.ली. अदरक के रस में १ चम्मच घी मिलाकर पीने से पीठ, कमर, जाँघ आदि में उत्पन्न वातदर्द में राहत मिलती है |

जोड़ों का दर्द : २ चम्मच अदरक रस में १ – १ चुटकी सेंधा नमक व हींग मिला के मालिश करें |

गठिया : १० ग्राम अदरक छिल के १०० ग्राम पानी में उबाल लें | ठंडा होने पर शहद मिलाकर पियें | कुछ दिन लगातार दिने में एक बार लें | यह प्रयोग वर्षा या शीत ऋतू में करें |

गला बैठना : अदरक रस शहद में मिलाकर चाटने से बैठी आवाज खुलती है व सुरीली बनती है |

सावधानी : रक्तपित्त, उच्च रक्तचाप, अल्सर, रक्तस्राव व कोढ़ में अदरक न खायें | अदरक को फ्रिज में न रखें, रविवार को न खायें |

- ऋषिप्रसाद – अगस्त २०१४ से

No comments: