साधारणतया योगासन भोजन के बाद नहीं किये जाते परंतु कुछ ऐसे आसन है जो भोजन के बाद भी किये जाते है | उन्ही आसनों में से एक है ब्रम्हचर्यासन | यह आसन रात्रि-भोजन के बाद सोने से पहले करने से विशेष लाभ होता है |
इसके नियमित अभ्यास से ब्रम्हचर्य – पालन में खूब सहायता मिलती है अर्थात इसके अभ्यास से अखंड ब्रम्हचर्य की सिद्धि होती है | इसलिए योगियों ने इसका नाम “ब्रम्हचर्यासन” रखा है |
लाभ : इस आसन के अभ्यास से वीर्यवाहिनी नाड़ी का प्रवाह शीघ्र ही ऊर्ध्वगामी हो जाता है और सिवनी नाड़ी की उष्णता कम हो जाती है, जिससे यह आसन स्वप्नदोषादि बीमारियों को दूर करने में परम लाभकारी सिद्ध हुआ है |
जिन व्यक्तियों को बार-बार स्वप्नदोष होता है, उन्हें सोने से पहले ५ से १० मिनट तक इस आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए | इससे उपस्थ इन्द्रिय में काफी शक्ति आती है और एकाग्रता में भी वृद्धी होती है |
विधि : जमीन पर घुटनों के बाल अर्थात वज्रासन में बैठ जायें | फिर दोनों पैरों को बाहर की ओर इस तरह फैला दें कि नितम्ब और गुदा का भाग जमीन से लगा रहे | हाथों को घुटनों पर रख ले शांत चित्त से बैठे रहें |
इसके नियमित अभ्यास से ब्रम्हचर्य – पालन में खूब सहायता मिलती है अर्थात इसके अभ्यास से अखंड ब्रम्हचर्य की सिद्धि होती है | इसलिए योगियों ने इसका नाम “ब्रम्हचर्यासन” रखा है |
लाभ : इस आसन के अभ्यास से वीर्यवाहिनी नाड़ी का प्रवाह शीघ्र ही ऊर्ध्वगामी हो जाता है और सिवनी नाड़ी की उष्णता कम हो जाती है, जिससे यह आसन स्वप्नदोषादि बीमारियों को दूर करने में परम लाभकारी सिद्ध हुआ है |
जिन व्यक्तियों को बार-बार स्वप्नदोष होता है, उन्हें सोने से पहले ५ से १० मिनट तक इस आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए | इससे उपस्थ इन्द्रिय में काफी शक्ति आती है और एकाग्रता में भी वृद्धी होती है |
विधि : जमीन पर घुटनों के बाल अर्थात वज्रासन में बैठ जायें | फिर दोनों पैरों को बाहर की ओर इस तरह फैला दें कि नितम्ब और गुदा का भाग जमीन से लगा रहे | हाथों को घुटनों पर रख ले शांत चित्त से बैठे रहें |
- ऋषिप्रसाद – अगस्त २०१४ से
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