· तुलसी के निकट जिस मन्त्र-स्तोत्र आदि का जप-पाठ किया जाता है, वश सब अनंत गुना फल देनेवाला होता है |
· प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, भूत, दैत्य आदि सब तुलसी के पौधे से दूर भागते है |
· ब्रह्महत्या आदि पाप तथा पाप और खोटे विचार से उत्पन्न होनेवाले रोग तुलसी के सामीप्य एवं सेवन से नष्ट हो जाते है |
· तुलसी का पूजन, रोपण व धारण पाप को जलाता है और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदायक है |
· श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला है |
· जो चोटी में तुलसी स्थापित करके प्राणों का परित्याग करता है, वह पापराशि से मुक्त हो जाता है |
· तुलसी के नाम-उच्चारण से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है |
· तुलसी ग्रहण करके मनुष्य पातकों से मुक्त हो जाता है |
· तुलसी पत्ते से टपकता हुआ जल जो अपने सिर पर धारण करता है, उसे गंगास्नान और १० गोदान का फल प्राप्त होता है |
पद्मपुराण (ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१४ से )
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