१) कान के पीछे गाय के घी की हल्के हाथ से रोजाना कुछ देर मालिश करे |
२) पद्मासन, सिद्धासन, वज्रासन में या कुर्सी पर आराम से बैठ जायें | रीढ़ की हड्डी, गला व सिर को सीधा रखें | आँखों के बराबर ऊँचाई पर रखे दीपक की ज्योति को एक मिनट तक एकटक देखें | फिर आँखों को एकाध मिनट बंद रखे | यह क्रिया ५ बार दोहरायें | इससे एकाग्रता व नेत्रज्योति दोनों में वृद्धि होती है |
३) आँखों को स्वच्छ जल से धोकर नेत्रबिंदु डालें | ॐ... ॐ.....मम आरोग्यशक्ति जाग्रय –जाग्रय’ अथवा ‘ॐ...ॐ.... मेरी आरोग्यशक्ति जाग्रत हो, जाग्रत हो ‘ – ऐसा कहते हुए या चितन करते हुए हाथों की हथेलियाँ आपस में रगडकर आँखों पर रखें | मौका मिले तो आँखों की पुतलियों को गोल घुमायें, फिर दायीं ओर व उसके बाद बायीं ओर ले जायें | सुबह मुँह में एक कुल्ला पानी भर लें, फिर कटोरी में थोडा पानी भर के उसमें आँखें डुबाकर पटपटायें, जिससे आँखों व् सिर की गर्मी निकल जाए | इससे सिरदर्द में आराम व नेत्रज्योति में वृद्धि होती है |
नेत्र –सुरक्षा व नेत्रज्योति-वृद्धि के लिये
· आँखों को सीधी धूप से बचायें |
· सुबह नंगे पैर हरी घास पर चलें |
· हरी पत्तेदार सब्जियाँ, ताजे फल व दूध का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें (दूध व् फल में २ घंटे का अंतर रखे ) |
· रात्रि-जागरण से बचे |
- ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१४ से
२) पद्मासन, सिद्धासन, वज्रासन में या कुर्सी पर आराम से बैठ जायें | रीढ़ की हड्डी, गला व सिर को सीधा रखें | आँखों के बराबर ऊँचाई पर रखे दीपक की ज्योति को एक मिनट तक एकटक देखें | फिर आँखों को एकाध मिनट बंद रखे | यह क्रिया ५ बार दोहरायें | इससे एकाग्रता व नेत्रज्योति दोनों में वृद्धि होती है |
३) आँखों को स्वच्छ जल से धोकर नेत्रबिंदु डालें | ॐ... ॐ.....मम आरोग्यशक्ति जाग्रय –जाग्रय’ अथवा ‘ॐ...ॐ.... मेरी आरोग्यशक्ति जाग्रत हो, जाग्रत हो ‘ – ऐसा कहते हुए या चितन करते हुए हाथों की हथेलियाँ आपस में रगडकर आँखों पर रखें | मौका मिले तो आँखों की पुतलियों को गोल घुमायें, फिर दायीं ओर व उसके बाद बायीं ओर ले जायें | सुबह मुँह में एक कुल्ला पानी भर लें, फिर कटोरी में थोडा पानी भर के उसमें आँखें डुबाकर पटपटायें, जिससे आँखों व् सिर की गर्मी निकल जाए | इससे सिरदर्द में आराम व नेत्रज्योति में वृद्धि होती है |
नेत्र –सुरक्षा व नेत्रज्योति-वृद्धि के लिये
· आँखों को सीधी धूप से बचायें |
· सुबह नंगे पैर हरी घास पर चलें |
· हरी पत्तेदार सब्जियाँ, ताजे फल व दूध का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें (दूध व् फल में २ घंटे का अंतर रखे ) |
· रात्रि-जागरण से बचे |
- ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१४ से
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