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Tuesday, March 24, 2015

मंडूकासन

इस आसन में शरीर मंडूक (मेढ़क) जैसा दिखता है | अत: इसे मंडूकासन कहते हैं |

लाभ : १] प्राण और अपान की एकता होती है | वायु-विकारवालों के लिए यह आसन रामबाण के समान है | यह आसन ऊर्ध्व वायु और अधोवायु का निष्कासन करता है |

२] पेट के अधिकांश रोगों में लाभप्रद है व तोंद कम होती है | अतिरिक्त चरबी दूर होती है |

३] मधुमेह में विशेष लाभ होता है |

४] रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है |

५] पंजों को बल मिलता हैं और उछलने की क्षमता बढती है |

६] शरीर में हलकापन व आराम महसूस होता है |

७] जोड़ों व घुटनों के दर्द में राहत होती है |

विशेष :
जो सामान्य (13 से 15 प्रति मिनट) से ज्यादा श्वास लेते हों, उनको यह आसन अवश्य करना चाहिये |

विधि : दोनों पैरों को पीछे की तरफ मोडकर (वज्रासन में ) बोथे | घुटनों को आपस में मिलाएं | हथेलियों को एक के ऊपर एक रखकर नाभि पर इसप्रकार रखें कि दायें हाथ की हथेली ठीक नाभि पर आये | फिर श्वास छोड़ते हुए शरीर को आगे की और झुकाये और सीने को घुटनों से लगाये | सिर उठाकर दृष्टि सामने रखें | 4 – 5 सेंकड इसी स्थिति में रुकें, फिर श्वास भरते हुए वज्रासन की स्थिति में आए | 3 – 4 बार यह प्रक्रिया दोहराये |

                                                                                                             ऋषिप्रसाद – मार्च – २०१५ से

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