असत्य बोलने के पाप से प्रकृति फिर ऐसी योनि देगी जिस में वाणी नहीं मिलेगी - भैंसा/कुत्ता बन गए; वाणी का दुरूपयोग न हो; सत्य, मधुर, हितकर, सारगर्भित, प्रसंगोचित, सामने वाला भगवान की तरफ लगे या उनका ज्ञान बढ़े ऐसा विचार कर बोलें; शत्रु के प्रति भी कटु वचन का प्रयोग नहीं करना चाहिए
-25th Jan'09, Vrindavan
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