- सुबह सूर्योदय से कुछ समय पहले २५-५० लम्बे श्वास लिए और छोड़े । "सुबह की वायु को, सेवन करत सुजान । ताते मुख छवि बढ़त है, बुद्धि होत बलवान" । नेत्र की ज्योति भी ठीक होगी, प्रसन्नता भी बढ़ेगी । ५-१० नाक से श्वास लिया और मुंह से छोड़ा । गर्दन पीछे करके २५ श्वास और गर्दन आगे करके 25 श्वास लिए ।
- भोजन ठांस-ठांस के ना करें और सुबह ज्यादा नाश्ते का आग्रह छोड़ दें । रात का किया हुआ भोजन सुबह ८-९ बजे तक तो पचता रहता है । २ टाइम ही खाएं । भोजन सात्विक करें, बासी व जूठा ना खाएं, पनीर, मावा और छैना ना खाएं ।
- सुबह-सुबह सूर्योदय के कुछ मिनट पहले कम से कम ८ घूँट पानी पी लिए (डेड़-दो ग्लास) । अगर मासिक, कब्ज़ है तो सवा लीटर ताम्बे का रात का रखा, थोड़ा गुनगुना पानी पियें।
- हफ्ते में १ दिन उपवास ज़रूर करें, लेकिन उपवास के दिन हल्का भोजन या फलाहार लें। नींबू पानी भी लेसकते हैं ।
- सूर्य उदय होने के आधा-पौना घंटे पहले वाले धूप हितकारी है । सूर्य की किरण ७ मिनट पेट की तरफ व १० मिनटपीठ की तरफ खानी चाहिए । लेकिन सिर पर कोई कपड़ा रख लें । सूर्य की किरणों में सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, व्यायाम हितकारी है ।
- बिस्तर से उतरें, नीचे धरती पर चटाई-कम्बल आदि बिछा दिया l पूर्व की तरफ सिर कर दिया l श्वास बाहर फेंक दिए, पेट को अन्दर-बाहर २-५ बार किया l योनी को संकोचन-विस्तरण २५ बार करो l फिर श्वास ले लो l फिर श्वास बाहर फेंको और शौच जाने की जगह को, जैसे घोड़ा लीद छोड़ता है, संकोचन-विस्तरण करता है, ऐसे करो l ऐसे ४ श्वास लेकर करो तो १०० बार हो जायेगा l इसे बोलते हैं अश्विनी मुद्रा जो की त्रिदोषनाशक है l बवासीर और कब्ज़ में अदभुद लाभ होता है l स्वप्नदोष आदि में भी फायदा करता है l इससे बुद्धि में इजाफा होगा l कर्तित्व में आप सक्रिय हो जायेंगे l आपका मूलाधार केंद्र प्रभावशाली होगा l स्वाधिष्ठान केंद्र विकसित होगा l कुण्डलिनी जागरण में मदद मिलेगी l ध्यान भजन में बरकत होगी l
दाढ़ी (ठोडी) के बीच में जो खड्डा है, उसे दबाने पर भी कब्ज़ में फायदा होगा l
- उत्तम विचार, संकल्प सुदृढ़ हो इसलिए अच्छे सात्विक विचार वाले पुस्तक पढें । संतों की वाणी सुनें।
- सोने के पहले हाथ-पैर १ घंटा पहले सो जाओ । सोते समय नमक अथवा शक्कर के बोरे की नाई बिस्तर पर ना गिरें । सोने के समय ऐसा सोचे "मैं अंतर्यामी प्रभु से मिलने जा रहा हूँ" । हो सके तो कमरे में गाय के कंडे में १-२ बूँद गाय के घी की डालकर धूप करें । इससे उर्जायी प्राणवायु बनेगी । जैसे शादी से पहले बेन्ड- बाजे बजते हैं......ऐसे ही जीवात्मा-परमात्मा का रात्रि को मिलन होता है .....इसलिए हास्य प्रयोग करके वातावरण आनंदित व उत्सवमय बना दो । अगर गुरु से कोई मार्गदर्शन चाहिए तो कंठ में गुरूजी का ध्यान करो । फिर सीधे लेट जाओ और श्वासों की गिनती करो । इस प्रकार की नींद आपकी योगनिद्रा बन जाएगी । सुबह नींद से उठो, थोड़ी देर शांत बैठो (संकल्प रहित अवस्था में) । ५ मिनट श्वासों की गिनती करो । दिनचर्या का सिंहावलोकन करो । कोई निर्णय लेना हो तो विचार करके लो ।
Ranchi 11st March 2010
No comments:
Post a Comment