स्वास्थ्य का खजानाः मेथी दाना
मेथी सस्ती व सर्वत्र सुलभ होने के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य की परम मित्र भी है। मेथीदाना तीखा उष्ण, वात व कफनाशक, पित्तवर्धक, पाचकशक्ति बढ़ाने वाला, हृदय के लिए हितकर व बलवर्धक है। यह ज्वर, उलटी, खाँसी, बवासीर, कृमि व क्षय रोग को नष्ट करता है।
मेथीति हिनस्ति वातकफज्वरान्।
वायु, कफ व ज्वर का नाश करने के कारण इसे मेथिका कहते हैं।
मेथीदाना पुष्टिकारक, शक्ति और स्फूर्तिदायक टॉनिक है। पुराने जमाने में जब सीमेंट का आविष्कार नहीं हुआ था, तब भवन निर्माण में चूने के साथ पिसी मेथी का उपयोग किया जाता था, जिससे भवन की मजबूती बढ़ जाती थी। ऐसे ही रोज सुबह-शाम 1 से 3 ग्राम मेथी पानी में भिगोकर, चबा के या छाया में सुखा कर, पीस के खाने से शरीर के जोड़ों में दर्द नहीं होता, जोड़ मजबूत रहते हैं तथा जीवन भर गठिया, आमवात, लकवा, मधुमेह, रक्तचाप आदि रोगों की सम्भावना बहुत कम हो जाती है। इसके नित्य सेवन से पेट बड़ा नहीं होता, मोटापा नहीं आता। मेथीदाना दुबलापन भी दूर करता है। सुबह-शाम इसे पानी के साथ निगलने से कैसा भी कब्ज हो, दूर हो जाता है। यह आँतों का परिमार्जन कर पेट को निरोग बनाता है, गैस को नष्ट करता है। इसकी मूँग के साथ सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं। यह मधुमेह के रोगियों के लिए खूब लाभदायी है।
सावधानीः मेथी दाने का सेवन शरद ऋतु में, पित्तजन्य रोगों में तथा उष्ण प्रकृतिवालों को नहीं करना चाहिए।
Lok Kalyan Setu-Feb 2011
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