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Tuesday, October 22, 2013

आकर्ण धनुरासन



आकर्ण धनुरासन – भाग -१

इस आसन में शरीर की स्थिति ऐसी दिखती है जैसे कोई धनुष की प्रत्यंचा को कान तक खींचकर लक्ष्य को बेधना चाहता हो, इसलिए इस आसन का नाम ‘आकर्ण धनुरासन’ है |

लाभ : १) विद्यार्थियों तथा अधिक लेखन-कार्य करनेवालों के लिए यह आसन वरदानस्वरुप हैं |
       २) हाथ-पैर व गर्दन के जोड़ों तथा स्नायु और मेरुदंड का उचित व्यायाम हो जाता है और वे सशक्त बनते हैं तथा शरीर लचीला होता है |
३) पेट और सीने का हलका व्यायाम होता है तथा उनके दोष दूर होते हैं |
४) खाँसी, दमा और क्षय (टी.बी.) में लाभ होता हैं |
५) फेफड़े मजबूत बनते हैं और सीने का विकास होता है |
६) कमर का दर्द, गले की तकलीफ, अपच, कब्ज, बगल (काँख) की ग्रन्थि, संधिवात, पैरों की पीड़ा आदि में लाभ होता है |
७) स्रियों की मासिक धर्म की अनियमितता, गर्भाशयसंबंधी शिकायतें और पेडू की पीड़ा दूर होती है |

विधि : यह आसन दो तरह से किया जाता है |

प्रथम प्रकार :
 जमीन पर पैर सीधे फैलाकर बैठ जाये | फिर बाये हाथ से दाये पैर का अंगूठा और दायें हाथ से बायें पैर का अंगूठा पकड़ें | दायें हाथ की कुहनी को धीरे-धीरे पीछे की ओर खींचते हुये बायाँ पैर मोडकर उसके अँगूठे को दायें कान तक ले आयें | हाथ की मडी हुई कुहनी सिर के ऊपर की ओर होनी चाहिए | दायाँ पैर सीधा रहे | श्वास कुछ देर रोककर धीरे-धीरे छोड़ें | इसी प्रकार दुसरे पैर से भी करें |

सावधानी: यदि पैर, कुल्हे और पेट में किसी प्रकार का गम्भीर रोग हो तो इस आसन को न करें |

Akarna Dhanurasan - Part 1
This asana makes the body appear as if someone has stretched the arrow all the way back on a bow with the intent of hitting a target.  Hence, the name "Akarna Dhanurasan".
Benefits:
1. This asana is like a blessing for students and those engaged in the occupation of writing.
2. Hands, legs, shoulder joints and tendons and backbone receive adequate exercise from this and become sturdy which makes the body supple.
3. It is a mild exercise for the stomach and chest which helps get rids of minor ailments in those regions.
4. Coughing, asthma and T.B. can be alleviated to a great extent.
5. It makes the lungs strong and enhances chest growth.
6. Back pain, aches around the neck, indigestion, constipation, arthritis, pain in leg joints can all be alleviated using this asana.
7. Irregular menstrual cycles, complaints pertaining to baby birth and similar pains around pelvis region experienced by women can be alleviated by practice of this asana.
Procedure:
This asana can be performed in two ways.
First technique:
Sit down on the floor with your legs stretched out straight. Then, using your left hand, grab the largest toe of your right leg and vice versa. Now, gradually pull back the right elbow. While doing so, bend your left leg such that it pulls back upto your right ear. The folded elbow of your right hand must rest above your head. Make sure your right leg is straight. Hold your breath for a while and release gradually. Repeat this process for the other leg too.
Caution: People suffering from serious ailments of legs, pelvic region and stomach must not perform this asana.
- Rishi Prasad Oct 2013


आकर्ण धनुरासन भाग : २




दूसरा प्रकार : जमीन पर बैठकर दोनों पैर फैलाएं | बायाँ पैर ऊपर उठाकर उसे बायें हाथ से इस प्रकार पकडियें कि पिंडली के नीचे के हिस्से में अंगूठा आगे और उँगलियाँ पीछे की ओर रहें | पैर का पूरा वजन हथेली पर हो | फिर दायें हाथ से पैर का एडिसहित ऊपरी भाग पकडकर पैर को गर्दन पर जमायें | गर्दन को दाहिनी ओर घुमायें | फिर बायें हाथ से दाहिने पैर के पंजे का उँगलियोंवाला हिस्सा पकड़ें और दाये हाथ से बायें पैर का पंजा पकड़ें | दृष्टी दाहिनी ओर हो | धीरे-धीरे पैर सामान्य अवस्था में लायें | इसी प्रकार दूसरे पैर से भी करें | दोनों प्रकारों के अभ्यास क्रमशः बढ़ाते हुए पाँच मिनट तक किये जा सकते हैं |

सावधानी : यदि पैर, कूल्हे और पेट में किसी प्रकार का गम्भीर रोग हो तो इस आसन को न करें |

Second technique: Sit on the floor with your legs straight. Lift your left leg with your left hand in such a fashion that your fingers are resting at the bottom of the ankle with  thumb pointing towards the front. Let the whole weight of the leg fall on the palm. Then, using your right hand, pull the leg with the ankle on the back side of your shoulder. Rotate your shoulder towards the right. Now, hold the sole of the right foot with your left hand around the region of toes and use your right hand to hold the sole of the left foot. Maintain sight towards the  right all this while. While unfolding, bring back both feet slowly to normal position. You may repeat the same posture with your other foot. Slowly extend the time period of the exercise upto five minutes.
Caution: People suffering from serious ailments of legs, pelvic region and stomach must not perform this asana.
   -ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१३ से 

अक्षय फल देनेवाली अक्षय नवमी



कार्तिक शुक्ल नवमी (११ नवम्बर २०१३ ) को ‘अक्षय नवमी’ तथा ‘आँवला नवमी’ कहते है | अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का अक्षय फल होता है | इस दिन आँवले के वृक्ष के पूजन का विशेष माहात्म्य है | पूजन में कपूर या घी के दीपक से आँवले के वृक्ष की आरती करनी चाहिए तथा निम्न मंत्र बोलते हुये इस वृक्ष की प्रदक्षिणा करने का भी विधान है :

यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च |
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे ||

इसके बाद आँवले के वृक्ष के नीचे पवित्र ब्राम्हणों व सच्चे साधक-भक्तों को भोजन कराके फिर स्वयं भी करना चाहिए | घर में आंवलें का वृक्ष न हो तो गमले में आँवले का पौधा लगा के अथवा किसी पवित्र, धार्मिक स्थान, आश्रम आदि में भी वृक्ष के नीचे पूजन कर सकते है | कई संत श्री आशारामजी आश्रमों में आँवले के वृक्ष लगे हुये हैं | इस पुण्यस्थलों में जाकर भी आप भजन-पूजन का मंगलकारी लाभ ले सकते हैं |
  

Limitless fruits from Akshay Navami

Karthik Shukla Navami (11 Nov 2013) is also renowned as "Akshay Navami" or "Amla Navami". Performing recitations, donations, tarpan, bathing, etc.. offers limitless benefits. There is a special significance of worshiping Amla tree on this day. During puja, one should use a lamp lit using camphor or clarified butter, ghee in front of an Amla tree. Following mantra should be recited and then circumambulate around the tree:
YANI KANI CHA PAPAANI JANMANTARAKRITAANI CHA |
TAANI SARVAANI NASHYANTU PRADAKSHINPADE PADE ||
After this, there is the custom of offering food to pure brahmins and devotees of pure heart, and then one should oneself take meal under the Amla tree. If one doesnot have Amla tree in his backyard then the same practice can be repeated around a small amla plant in a pot or in any holy, religious place or ashram. Many Sant Shri Asaramji ashrams have Amla trees planted in their premises. You may also take benefit of these holy places.


- Rishi Prasad Oct 2013

गौ-पूजन से सौभाग्यवृद्धि




(गोपाष्टमी पर्व – १० नवम्बर २०१३ )

कार्तिक शुक्ल अष्टमी को ‘गोपाष्टमी’ कहते हैं | यह गौ-पूजन का विशेष पर्व हैं | इस दिन प्रात:काल गायों को स्नान कराके गंध-पुष्पादि से उनका पूजन किया जाता है | इस दिन गायों को गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ जायें तो सब प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती है | सायंकाल जब गायें चरकर वापस आयें, उस समय भी उनका आतिथ्य, अभिवादन और पंचोपचार-पूजन करके उन्हें हरी घास, भोजन आदि खिलाएं और उनकी चरणरज ललाट पर लगायें | इससे सौभाग्य की वृद्धी होती है |
  
- Rishi Prasad Oct 2013

Prosperity through worship of cows
Gopashtami - 10 November 2013
Karthik Shukla Ashtami is also renowned as "Gopashtami". This is a special occasion for cow worship. On this day, one should bathe cows early in the morning and then worship them with fragrance sticks and flowers. On this day, one should feed them grass and then circumambulate them. One should also follow their paths for a while for gaining higher spiritual achievements in life. During dusk, when the cows return after grazing, worshiping even then and welcoming them back in the shed by feeding them green grass or other fodder is also preferred.
Apply soil from cow's hoof on your forehead. This will bring prosperity in your life.

अमृत बरसाती शरद पूर्णिमा


शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा की किरणों से अमृत बरसता है | ये किरणें स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायी है | इस रात्रि में शरीर पर हल्के-फुल्के परिधान पहनकर चन्द्रमा की चाँदनी में टहलने, घास के मैंदान पर लेटने तथा नौकाविहार करने से त्वचा के रोमकूपों में चंद्र किरणें समां जाती है और बंद रोम-छिद्र प्राकुतिक ढंग से खुलते है | शरीर के कई रोग तो इन चंद्र-किरणों के प्रभाव से ही धीरे-धीरे दूर होने लगते है |
इन चंद्र-किरणों से त्वचा का रंग साफ़ होता है, नेत्रज्योति बढती है एवं चेहरे पर गुलाबी आभा उभरने लगती है | यदि देर तक पैरों को चंद्र-किरणों का स्नान कराया जाय तो ठंड के दिनों में तलुए, एडियाँ, होंठ फटने से बचे रहते हैं |
चन्द्रमा की किरणें मस्तिष्क के लिए अति लाभकारी हैं | मस्तिष्क की बंद तहें खुलती हैं, जिससे स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है | साथ ही सिर के बाल असमय सफेद नहीं होते हैं |

शरद पूर्णिमा की चाँदनी के स्वास्थ्य-प्रयोग

·         दो पके सेवफल के टुकड़े करके शरद पूर्णिमा को रातभर चाँदनी में रखने से उनमें चंद्रकिरणें और ओज के कण समा जाते हैं | सुबह खाली पेट सेवन करने से कुछ दिनों में स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक लाभकारी परिवर्तन होते हैं |

·         इस दिन रात को चाँदनी में सेवफल २ – ३ घंटे रख के फिर उसे चबा – चबाकर खाने से मसूड़ों से खून निकालने का रोग ( स्कर्वी ) नहीं होता तथा कब्ज से भी छुटकारा मिलता है |  

·         २५० ग्राम दूध में १ – २ बादाम व २ – ३ छुहारों के टुकड़े करके उबालें | फिर इस दूध को पतले सूती कपड़े से ढंककर चंद्रमा की चाँदनी में २ – ३ घंटे तक रख दें | यह दूध औषधीय गुणों से पुष्ट हो जायेगा | सुबह इस दूध को पी लें |

·         सोंठ, कालीमिर्च और लौंग डालकर उबाला हुआ दूध चाँदनी रात में २ – ३ घंटे रखकर पीने से बार-बार जुकाम नहीं होता, सिरदर्द में लाभ होता है |

·         इस रात्रि में ३ – ४ घंटे तक बदन पर चन्द्रमा की किरणों को अच्छी तरह पड़ने दें | इससे त्वचा मुलायम, कोमल व कंचन – सी दमकने लगेगी |

·         तुलसी के १० – १२ पत्ते एक कटोरी पानी में भिगोकर चाँदनी रात में २ – ३ घंटे के लिए रख दें | फिर इन पत्तों को चबाकर खा लें व थोडा पानी पियें | बचे हुये पानी को छानकर एक-एक बूंद आँखों से धुँधला दिखना, बार-बार पानी आना आदि में इससे लाभ होता है | तुलसी के पानी की बुँदे चंद्रकिरणों के संग मिलकर प्राकृतिक अमृत बन जाती हैं | (दूध व तुलसी के सेवन में दो-ढाई घंटे का अंतर रखें | )

Sharad Purnima - The night of Ambrosia
On the night of Sharad Purnima, it rains ambrosia from the moon rays. These rays are extremely beneficial towards one's health. On this night, one should wear light clothes and go for a stroll in the moonlit night across a grassy playground or take a boat ride so that your skin can absorb these moon rays and naturally augment opening up of the skin pores. Many hidden ailments inside the body slowly begin to wane away.
It lightens the skin tone of the body, enhances eye sight and brings forth a rosy skin tone on the face. If one can soak the rays on the feet for  long time, then one can prevent cracking of skin near the sole, ankle and lips during cold weather.
The moon rays are extremely beneficial for the brain. It opens up new nerve channels which augment memory. Also, early greying of hair is prevented.
Health tips by use of moonlight of Sharad Purnima 

- Place pieces of two ripe apples such that they can soak the moonlight throughout the entire night. By morning, they completely absorb the effulgence of moonrays. Taking them on an empty stomach in the morning brings forth exemplary improvement in the health of a person.
- On this night, if one eats apples which have been soaked in moonlight for 2-3 hours atleast and chews them properly while eating, then he is freed from bleeding gums disease and constipation permanently.
- Put 1-2 almonds and 2-3 date palm in 250 grams of milk and boil it. Then, cover this milk with a thin cotton cloth for about 2-3 hours. This milk is now becomes empowered with medicinal properties. Drink this milk next day morning.
- Milk boiled with Dry ginger, black pepper and cloves and placed in moonlight for 2-3 hours, becomes extremely potent is curing frequent colds and headaches.
- Allow the moon rays to fall on the bare body for 3-4 hours. This will make the skin supple, soft, and radiate spiritual composure.
- Take 10-12 Basil leaves soaked in water and place it in moonlight for 2-3 hours. Then, chew the Basil leaves properly and take a little sip of water too. Sieve the remnant water and put 1-1 drops in your eyes. Then, ailments like blurry vision, excess watering of eyes, etc will get alleviated. The extract from Basil along with the moon rays form a natural ambrosial mix. (Maintain atleast 2-3 hours gap between consumption of milk and Basil)
-  Rishi Prasad Oct' 2013