रसायन चूर्ण व टैबलेट
गोखरू, आँवला तथा गिलोय को समभाग मिलाकर यह विशेष रसायन योग बनाया जाता हैं | यह चूर्ण पौष्टिक, बलप्रद, खुलकर पेशाब लानेवाला एवं वीर्यदोष दूर करनेवाला हैं | जीर्णज्वर तथा धातुगत ज्वर दूर करता है | उदररोग, आँतों के दोष, मूत्रसंबंधी विकार, स्वप्नदोष तथा धातुसंबंधी बीमारियों में लाभ करता हैं | पाचनतंत्र, नाडीतंत्र तथा ओज-वीर्य की रक्षा करता है | छोटे=बाद, रोगी-निरोगी सभी इसका सेवन कर सकते हैं | रसायन चूर्ण बड़ी उम्र में होनेवाली व्याधियों का नाश करता हैं | शक्ति, स्फूर्ति एवं ताजगी तथा दीर्घ जीवन देन्नेवाला है | ४० वर्ष की उम्र से बड़े प्रत्येक व्यक्ति को तो निरोग रहने हेतु हररोज इसका सेवन विशेष रूप से करना चाहिए |
यह रसायन चूर्ण के नाम से सभी संत श्री अशारामजी आश्रमों तथा सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है |
अमृत द्रव
यह एक बहुत ही असरकारक औषधि है | इसके प्रयोग से सर्दी-जुकाम, खाँसी, सिरदर्द तथा गले एवं दाँत के रोगों में लाभ होता है |
प्रयोग विधि – २ से ५ बूँद (बच्चों के लिए १ – २ बूँद) दवा १ कप गुनगुने पानी में डालकर सुबह – शाम पिये |
गोखरू, आँवला तथा गिलोय को समभाग मिलाकर यह विशेष रसायन योग बनाया जाता हैं | यह चूर्ण पौष्टिक, बलप्रद, खुलकर पेशाब लानेवाला एवं वीर्यदोष दूर करनेवाला हैं | जीर्णज्वर तथा धातुगत ज्वर दूर करता है | उदररोग, आँतों के दोष, मूत्रसंबंधी विकार, स्वप्नदोष तथा धातुसंबंधी बीमारियों में लाभ करता हैं | पाचनतंत्र, नाडीतंत्र तथा ओज-वीर्य की रक्षा करता है | छोटे=बाद, रोगी-निरोगी सभी इसका सेवन कर सकते हैं | रसायन चूर्ण बड़ी उम्र में होनेवाली व्याधियों का नाश करता हैं | शक्ति, स्फूर्ति एवं ताजगी तथा दीर्घ जीवन देन्नेवाला है | ४० वर्ष की उम्र से बड़े प्रत्येक व्यक्ति को तो निरोग रहने हेतु हररोज इसका सेवन विशेष रूप से करना चाहिए |
यह रसायन चूर्ण के नाम से सभी संत श्री अशारामजी आश्रमों तथा सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है |
अमृत द्रव
यह एक बहुत ही असरकारक औषधि है | इसके प्रयोग से सर्दी-जुकाम, खाँसी, सिरदर्द तथा गले एवं दाँत के रोगों में लाभ होता है |
प्रयोग विधि – २ से ५ बूँद (बच्चों के लिए १ – २ बूँद) दवा १ कप गुनगुने पानी में डालकर सुबह – शाम पिये |
- ऋषिप्रसाद –जनवरी २०१५ से
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