Search This Blog

Sunday, January 31, 2021

घी के लिए कौन-सा पात्र कितना उपयुक्त ?

 


प्राय: लोग अच्छे-से-अच्छा घी मिले इसके लिए अधिक दाम देने में भी पीछे नहीं हटते लेकिन यदि यह जानकारी नहीं है कि घी रखने के लिए कौन-स बर्तन उपयुक्त है और कौन-से बर्तनों में रखा घी खराब हो जाता है तो अधिक दाम देकर भी खराब घी खायेंगे या तो घी के उत्तम गुणों का पूरा लाभ नहीं ले पायेंगे |

अनुपयुक्त बर्तन

सुश्रुत संहिता के अनुसार ‘काँसे के बर्तन में १० रात तक रखा हुआ घी नहीं खाना चाहिए |’

ब्रह्मवैवर्त पुराण में आता है कि ‘लोहे के बर्तन में रखा हुआ घी अभक्ष्य हो जाता है |’

अमेरिका के फ़ूड एड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार ‘सभी तरह का प्लास्टिक कुछ समय के बाद केमिकल छोड़ने लगता है |’ प्लास्टिक से बने बर्तनों, डिब्बों, थैलियों, दूध व पानी की बोतलों ई में खाद्य पदार्थ कुछ समय तक रखें रहने पर रासायनिक क्रियाएँ होने से विषाक्त होने लगते हैं और भविष्य में कैंसर आदि घातक बीमारियों का कारण बनते हैं | अत: घी को प्लास्टिक के डिब्बों में रखना सुरक्षित नहीं हैं |

काँच खाद्य पदार्थों में पायें जानेवाले अम्ल, क्षार व लवण आदि से अभिक्रिया नहीं करता | इससे काँच के पात्रों में रखे गये पदार्थ लम्बे समय तक ताजे और स्वादयुक्त रहते हैं , खराब नहीं होते | अत: घी की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए उसे काँच के बर्तन में रखना श्रेष्ठ है |

विशेष : आयुर्वेद के अनुसार एक वर्ष से अधिक पुराने घी को ‘पुराण घृत’ कहते हैं | इसकी गंध व स्वाद बिगड़ने लगते हैं पर यह अधिक गुणकारी होता है | अत: इसका प्रयोग विशेषरूप से औषधि  के रूप में किया जाता है |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२१ से

No comments: