प्राय: लोग
अच्छे-से-अच्छा घी मिले इसके लिए अधिक दाम देने में भी पीछे नहीं हटते लेकिन यदि
यह जानकारी नहीं है कि घी रखने के लिए कौन-स बर्तन उपयुक्त है और कौन-से बर्तनों
में रखा घी खराब हो जाता है तो अधिक दाम देकर भी खराब घी खायेंगे या तो घी के
उत्तम गुणों का पूरा लाभ नहीं ले पायेंगे |
अनुपयुक्त बर्तन
सुश्रुत संहिता के
अनुसार ‘काँसे के बर्तन में १० रात तक रखा हुआ घी नहीं खाना चाहिए |’
ब्रह्मवैवर्त
पुराण में आता है कि ‘लोहे के बर्तन में रखा हुआ घी अभक्ष्य हो जाता है |’
अमेरिका के फ़ूड एड
ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार ‘सभी तरह का प्लास्टिक कुछ समय के बाद केमिकल छोड़ने
लगता है |’ प्लास्टिक से बने बर्तनों, डिब्बों, थैलियों, दूध व पानी की बोतलों ई
में खाद्य पदार्थ कुछ समय तक रखें रहने पर रासायनिक क्रियाएँ होने से विषाक्त होने
लगते हैं और भविष्य में कैंसर आदि घातक बीमारियों का कारण बनते हैं | अत: घी को
प्लास्टिक के डिब्बों में रखना सुरक्षित नहीं हैं |
काँच खाद्य
पदार्थों में पायें जानेवाले अम्ल, क्षार व लवण आदि से अभिक्रिया नहीं करता | इससे
काँच के पात्रों में रखे गये पदार्थ लम्बे समय तक ताजे और स्वादयुक्त रहते हैं ,
खराब नहीं होते | अत: घी की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए उसे काँच के बर्तन में
रखना श्रेष्ठ है |
विशेष : आयुर्वेद
के अनुसार एक वर्ष से अधिक पुराने घी को ‘पुराण घृत’ कहते हैं | इसकी गंध व स्वाद
बिगड़ने लगते हैं पर यह अधिक गुणकारी होता है | अत: इसका प्रयोग विशेषरूप से
औषधि के रूप में किया जाता है |
ऋषिप्रसाद
– जनवरी २०२१ से
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