१२ फरवरी : विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर १२:५३ से सूर्यास्त तक) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का लाख गुना फल)
१४ फरवरी : मात्रृ
– पितृ पूजन दिवस
१६ फरवरी : वसंत
पंचमी (इस दिन सारस्वत्य मंत्र का जप विशेष लाभदायी, अधिक-से-अधिक जप करें |)
२३ फरवरी : जया
एकादशी (व्रत से ब्रह्महत्यातुल्य पाप व पिशाचत्व का नाश)
२५ फरवरी :
गुरुपुष्यामृत योग (सूर्योदय से दोपहर १:१७ तक ) (ध्यान, जप, दान, पुण्य महाफलदायी),
माघ शुक्ल त्रयोदशी ईसी दिन से माघी पूर्णिमा (२७ फरवरी) तक प्रात: पुण्यस्नान तथा
दान, व्रत आदि पुण्यकर्म करने से सम्पूर्ण माघ-स्नान का फल मिलता है |
२ मार्च : अंगारकी
– मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से ३ मार्च प्रात: ३:०० तक)
९ मार्च : विजया एकादशी (व्रत से इस लोक में विजयप्राप्ति होती है और परलोक भी अक्षय बना रहता है |)
११ मार्च :
महाशिवरात्रि व्रत, रात्रि- जागरण, शिव-पूजन (निशिथकाल :रात्रि १२:२४ से १:१३ तक)
१४ मार्च : षडशिति
संक्रांति (पुण्यकाल : दोपहर ११:३९ से शाम ६:०४त्क) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म ८६,०००
गुना फल)
ऋषिप्रसाद
– फरवरी २०२१ से