महाशिवरात्रि
– १ मार्च २०२२
भगवान्
शिवजी कहते हैं कि ‘जो सांगोपांग से ( विधि-विधानसहित), संयम से, ब्रह्मचर्य –
व्रत पालकर, झूठ-कपट का त्याग करके महाशिवरात्रि का व्रत करता है उसको वर्षभर की
शिव-पूजा का फल होगा |’ तो लोगों को फल होता है |
महाशिवरात्रि
व्रत का फल
सूतजी
शौनकजी से कहते हैं : ‘जिनको आत्मज्ञान का सत्संग श्रवण – मनन को नहीं मिलता है
उनको विधिपूर्वक श्रद्धा-भक्ति से शिव-पूजा, शिव-व्रत करना चाहिए | श्रद्धा-भक्ति
से किया हुआ शिवजी का पूजन-सुमिरन देर-सवेर उनको आत्मशिव कि विद्या देनेवाले
सत्संग में पहुँचा देता है और सत्यस्वरूप व्यापक शिव का साक्षात्कार करा देता है
|’
घर को ही
बना लें शिवालय
आप अपने
घर में साधन-भजन, पूजा का एक ऐसा कमरा बनाइये जिसमें संसार कि खटपट न हो | फिर
वहाँ शिवलिंग की स्थापना करते हैं तो ठीक है अथवा भगवान जिनके ह्रदय में नृत्य कर
रहा है, वाणी उच्चार रहा है ऐसे किन्ही ब्रह्मवेत्ता महापुरुष का श्रीचित्र लगा दो
जिनमें आपकी श्रद्धा है | रोज थोडा-बहुत ध्यान, जप करिये | कभी- कभार उधर फुल रख दें,
दिया जला दें, धूप कर दें | धूप रसायन युक्त कृत्रिम सुगंधवाली अगरबत्तियों का
नहीं, ये तो गडबड करती हैं, देशी गाय के गोबर के कंडे के ऊपर थोडा गूगल रख दें या
कोयले के ऊपर थोड़ी हबन—सामग्री रख दें अथवा गौ-चंदन धूपबत्ती जला दें | वहाँ आप
नियम से मंत्रजप, साधन-भजन करेंगे तो उस जगह को आप थोड़े ही दिनों में शिव मन्दिर
पायेंगे |
फिर जब
संसार कि विडंबना, मुसीबतें आयें तो आप हाथ-पैर धो के उस पूजा के कमरे में आकर
थोड़ी प्रार्थना करें | ५ – ७ मिनट ॐकार का दीर्घ उच्चारण करके मानसिक जप व ध्यान
करें | यदि रात्रि का समय है तो ध्यान करते-करते ध्यान का जो भाव बना है उसी भाव शयन कर लें | रात्रि को स्वप्न में आपके प्रश्न
का उत्तर आ जायेगा, नहीं तो प्रभात को जरुर आयेगा | एक दिन नहीं तो दूसरे दिन
आयेगा, उत्तर आयेगा अथवा समस्या का ऐसे ही समाधान हो जायेगा, यह बिल्कुल सच्ची व
पक्की बात है !
विशेष
लाभदायी है इन दिनों का उपवास
सूतजी
कहते हैं : ‘सोमवार की अष्टमी और कृष्ण पक्ष कि चतुर्दशी को कोई उपवास करें तो उस
पर शिवजी विशेष प्रसन्न रहते हैं | महाशिवरात्रि सबसे बलवान व्रत है, करोड़ों
हत्याओं का पाप जिसके सिर पर है वह भी अगर विधिवत महाशिवरात्रि का पूजन –अर्चन
करता है, भले मन्दिर में न जाय, अपने घर पर ही अर्चन या मानसिक पूजन करें तो उसके
रोग-शोक, पाप-ताप भगवान शिव की कृपा से नष्ट हो जाते हैं और उसका ह्रदय प्रफुल्लित
व पुण्यमय हो जाता है |’
अष्टमी व
चतुर्दशी का उपवास ग्रह – नक्षत्र के हिसाब से हमारे आरोग्य और भक्तिभाव के लिए भी
अच्छा है |
शिवजी से
क्या माँगे ?
शिवजी से
यही माँगे कि ‘हे भोलेनाथ ! ऐसी कृपा करो कि शिवस्वरूप का अनुभव करानेवाला सत्संग
हमें मिलता रहें हमें शिव-तत्त्व में जगे हुए संतों का सान्निध्य मिले|’
महाशिवरात्रि
के दिन संकल्प करना चाहिए :
देवदेव !
महादेव! नीलकंठ ! नमोऽस्तुते |
कर्तुमिच्छाम्यहं
देव ! शिवरात्रिव्रतं तव ||
तव
प्रभावाद्देवेश ! निर्विघ्नेन भवेदिति |
कामाध्या:
शत्रवो मां वै पीड़ां कुर्वन्तु नैव हि ||
‘देवदेव
! महादेव ! नीलकंठ ! आपको नमस्कार है | हे देव ! मैं आपका शिवरात्रि-व्रत करना
चाहता हूँ | हे देवेश ! आपके प्रभाव से मेरा व्रत निर्विघ्न पूर्ण हो | इस बीच
काम, क्रोध आदि शत्रु मुझे पीड़ित न करें ?’
यह
प्रार्थना करके व्रत का आरम्भ करना चाहिए और व्रत पूर्ण करने के बाद दूसरे दिन सुबह शिव-तत्व को जाननेवाले महापुरुषों का
अभिवादन करना चाहिए | अगर ऐसे महापुरुष नहीं मिलते हैं तो मन-ही-मन उनका अभिवादन
और पूजन करने से हमारे अंतरात्मा शिव का प्रसाद शीघ्र प्रकट होगा |
इससे
सभीको फायदा होगा
शिवजी
कहते हैं कि “लिंग का पूजन ॐकार-जप करके और मूर्ति का पूजन ‘ॐ नम:शिवाय’ जप करके
करें |”
महाशिवरात्रि
का जागरण बड़ा प्रभाव रखता है | इससे चित्त में प्रसन्नता आती ऐ और उसका विकास होता
है | मन-ही-मन शिवजी को बिल्वपत्र चढ़ा दो, शिवलिंग पर जल चढ़ा दो, चल जायेगा | १०
मिनट होंठों से फिर १० मिनट कंठ से, फिर १० मिनट ह्रदय से जप करो | मन इधर-उधर
जाता है तो जोर से ‘हरि ओऽ ऽ..... म ऽ ऽ.....’, शिव ओऽ ऽ..... म ऽ ऽ.....’ ऐसा
उच्चारण करो | सुबह, शाम और रात को आधा-आधा घंटा ऐसी साधना करो | इससे सभी को
फायदा होगा |
ऋषिप्रसाद – फरवरी २०२२ से