खान-पान का ध्यान विशेष-वसंत ऋतु का है संदेश
(वसंत ऋतु : १८ फरवरी से १८ अप्रैल)
ऋतुराज वसंत शीत व उष्णता का संधिकाल है | इसमें शीत ऋतु का संचित कफ सूर्य की संतप्त किरणों से पिघलने लगता है, जिससे जठराग्नि मंद हो जाती है और सर्दी-खाँसी, उलटी-दस्त आदि अनेक रोग उत्पन्न होने लगते हैं | अतः इस समय आहार-विहार की विशेष सावधानी रखनी चाहिए |
आहार : इस ऋतु में देर से पचनेवाले, शीतल पदार्थ, दिन में सोना, स्निग्ध अर्थात घी-तेल में बने तथा अम्ल व रसप्रधान पदार्थो का सेवन न करें क्योंकि ये सभी कफव्रधक है | (अष्टांगहृदय ३.२६)
वसंत में मिठाई, सुखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आईसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित है | इन दिनों में शीघ्र पचनेवाले, अल्प तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों जैसे- लाई, मुरमुरे, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मुँग, अदरक, सौंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग, सूरन, सहजन की फली, करेला, मेथी, ताजी मूली, तिल का तेल, शहद, गौमूत्र आदि कफनाशकपदार्थों का सेवन करें | भरपेट भोजन ना करें | नमक का कम उपयोग तथा १५ दिनों में एक कड़क उपवास स्वास्थ्य के लिए हितकारी है | उपवास के नाम पर पेट में फलाहार ठूँसना बुद्धिमानी नही है |
(वसंत ऋतु : १८ फरवरी से १८ अप्रैल)
ऋतुराज वसंत शीत व उष्णता का संधिकाल है | इसमें शीत ऋतु का संचित कफ सूर्य की संतप्त किरणों से पिघलने लगता है, जिससे जठराग्नि मंद हो जाती है और सर्दी-खाँसी, उलटी-दस्त आदि अनेक रोग उत्पन्न होने लगते हैं | अतः इस समय आहार-विहार की विशेष सावधानी रखनी चाहिए |
आहार : इस ऋतु में देर से पचनेवाले, शीतल पदार्थ, दिन में सोना, स्निग्ध अर्थात घी-तेल में बने तथा अम्ल व रसप्रधान पदार्थो का सेवन न करें क्योंकि ये सभी कफव्रधक है | (अष्टांगहृदय ३.२६)
वसंत में मिठाई, सुखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आईसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित है | इन दिनों में शीघ्र पचनेवाले, अल्प तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों जैसे- लाई, मुरमुरे, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मुँग, अदरक, सौंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग, सूरन, सहजन की फली, करेला, मेथी, ताजी मूली, तिल का तेल, शहद, गौमूत्र आदि कफनाशकपदार्थों का सेवन करें | भरपेट भोजन ना करें | नमक का कम उपयोग तथा १५ दिनों में एक कड़क उपवास स्वास्थ्य के लिए हितकारी है | उपवास के नाम पर पेट में फलाहार ठूँसना बुद्धिमानी नही है |
विहार : ऋतु-परिवर्तन से शरीर
में उत्पन्न भारीपन तथा आलस्य को
दूर करने के लिए सूर्योदय से पूर्व
उठाना, व्यायाम, दौड़, तेज चलना, आसन तथा प्राणायाम (विशेषकर सूर्यभेदी) लाभदायी है | तिल के तेल से मालिश कर
सप्तधान उबटन से
स्नान करना स्वास्थ्य की कुंजी है |
वसंत ऋतु के विशेष प्रयोग :
- २ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग मिलाकर सुबह खली पेट लेने से 'रसायन' के लाभ प्राप्त होते हैं |
- १५ से २० नीम के पत्ते तथा २-३ काली मिर्च १५-२० दिन चबाकर खाने से वर्षभर चर्मरोग, ज्वर, रक्तविकार आदि रोगों से रक्षा होती है |
- अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसमें नींबू का रस और थोडा नमक मिला के सेवन करने से मंदाग्नि दूर होती है |
- ५ ग्राम रात को भिगोयी हुई मेथी सुबह चबाकर पानी पीने से पेट की गैस दूर होती है |
- रीठे का छिलका पानी में पिसकर २-२ बूँद नाक में टपकाने से आधासीसी (सिर) का दर्द दूर होता है |
- १० ग्राम घी में १५ ग्राम गुड़ मिलाकर लेने से सुखी खाँसी में राहत मिलती है |
- १० ग्राम शहद, २ ग्राम सोंठ व १ ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बलगमी खाँसी दूर होती है |
सावधानी : मुँह
में कफ आने पर उसे तुरंत बाहर निकाल दें |
कफ की तकलीफ में अंग्रेजी
दवाइयाँ लेने से कफ सूख जाता है, जो भविष्य में टी.बी.,
दमा,
कैंसर जैसे गम्भीर रोग उत्पन्न कर सकता
है | अतः कफ बढ़ने पर ?
जकरणी जलनेति का प्रयोग करें
(विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें आश्रम से प्रकाशित पुस्तक 'योगासन') |
Dietary precautions during spring season
(Spring season: 18th
feb to 18th April)
Spring the best of all seasons, is the transition from
winter to summer. In this season, the Kapha accumulated during the winter
starts menting under the impact of hot sunreys. It makes the digestive fire
mild that gives rise to diseases like colds, coughs, vomiting, diarrhoea, etc.
Therefore one should take dietary precautions in this season.
Diet: In this season, don’t take heavy foods( that are not
easily digested), foods cold in effect, oily, sour and sweet foods; because
they increase Kapha. Don’t sleep in the day. (Ashtanga Hridaya: 3.26)
Sweet foods, dry fruits, sour and sweet fruits, curd, ice
cream and heavy to digest foods are prohibited in this season. One should take
easily digestable, low-fat, spicy, bitter, astringent and foods hot in effect
like parched paddy, puffed rice, barley, roasted chick pea, old wheat, Bengal
grams, green grams, ginger, dry ginger, Ajowan ( Trachyspermum ammi), tumeric,
pipparamulli (Solanum ferox), black pepper, asafetida, elephant foot yam
(Amorphophallus campanulatus), Horse radish, bitter gourd, fenugreek, fresh
radish, sesame-seed oil, honey, cow‘s urine, etc.. They destroy Kpha. Don’t eat
your fill. Low salt diet and fasting once in every 15 days are good for health.
It is unwise to fill one’s stomach by non- grain, fruit-type diets.
Mode of living: Getting up before sunrise (to ward off
heaviness and laziness caused by change of season), physical exercise, running,
jogging, yogic postures and Pranayama(particularly Surya Bhedi pranayam) are
beneficial in this season. Taking bath with Ubatan,( an unguent made of seven
type of grains) after massage with sesame seed oil is the key to health.
Special measures for spring season:
- Taking 2 to 3 grams harad(myrobalan) powder mixed with equal quantity of honey on an empty stomach early in the morning give benefits of Rasayana ( a substance that destroys disease and increases strength, intellect and stamina of the body).
- Take 15-20 Neem (Margosa) leaves and 2-3 black pepper seeds with good mastication. It protects against skin diseases, fever and blood disorders throughout the year.
- Take small pieces of ginger mixed with lime juice and salt to cure mildness of digestive fire.
- Soak 5 grams of fenugreek at night. Take it early in the morning and then take water. It relieves gas trouble.
- Mix the pulp of a soap nut(Sapindus laurifolius) in water and instill 2 drops in each nostril. It cures migraine.
- Take 10 grams of ghee mixed with 15 grams of jaggery. It helps in dry cough.
- Lick 10 grams honey mixed with 2 grams powdered dry ginger and 1 gram black pepper. It cures cough with expectoration.
Caution: Phlegm should always be
spat out. Allopathic medicines make the cough dry; which can grow into serious
diseases like asthma, tuberculosis or cancer. In case of cough, yogic exercises
like Gajkarani and Jalneti are useful.( For detailed information, read Ashram
booklet Yogasana).
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- Rishi Prasad Feb' 2013
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