पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में
पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसुडा कहते है | इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों
पर भोजन करने से चाँदी – पात्र में किये भोजन तुल्य लाभ मिलते है |
‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा
से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा १० हजार आहुतियाँ
दें तो सभी रोगों का शमन होता है |
पलाश के फुल : प्रेमह
(मुत्रसंबंधी विकारों) में: पलाश-पुष्प का काढ़ा (५० मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें
|
रतौंधी की
प्रारम्भिक अवस्था में : फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है |
आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में
शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजे |
वीर्यवान बालक की
प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला के गर्भवती माता को रोज पिलाने
से बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है |
पलाश के बीज : ३ से ६ ग्राम
बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह १० से १५ मि.ली. अरंडी
का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे |
पत्ते : पलाश व बेल के
सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धुप करने से बुद्धि की शुद्धि व
वृद्धि होती है |
बवासीर में : पलाश के पत्तों
की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें |
छाल : नाक, मल-मूत्र
मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (५० मि.ली.) बनाकर ठंडा
होने पर मिश्री मिला के पिलायें |
पलाश का गोंद : पलाश का १ से ३
ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धी होती
है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं | यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व
संग्रहणी में आराम मिलता है |
The
Eternal Tree: Palash (Butea Frondosa)
Palash
is known as Dhak and Tesu in Hindi, Palash in Bengali, Palas in Marathi and Kesuda in Gujrathi. Eating out of a plate
made of Palash leaves gives the same benefits as are had from eating out of a
silver plate.
Linga
Purana says that all ailments can be prevented by giving 10000 oblations with
Palash wood with japa of the mantra, ‘Aum Namah Shivay’ ॐ नम: शिवाय .
Palash
Flowers : For any
urinary problem, one can use with advantage extract of boiled Palash flowers
(50 ml) mixed with sweet candy.
Put
drops of Palash flowers juice in eyes at initial stage of night blindness.
Palash flower juice mixed with pure honey may be applied to the eyes in case of
Conjunctivitis.
For
a Healthy and Robust Progeny
: One Palash flower ground in milk should be given everyday to the expecting
mother for a healthy and vigorous child.
Palash
seeds: In case of
worms, 3-6 grams of Palash seed powder may be given with milk for three
consecutive days. On the fourth day 10-15 ml castor oil mixed in hot milk
should be given to the patient. It will help remove worms from the body.
Leaves : Inhaling the fumes from burning
the mixture of dry leaves of Palash and Bel ( the Bengal quince tree Aegle
Marmelos), cow ghee and sugar candy mixed in equal quantity purifiles and hones
the intellect.
In
case of piles, prepare a dish of Palash leaves in ghee or oil and consume it
with curds.
Palash
bark : Prepare 50
gm. Extract by boiling Palash bark in water. Cool and add sugar candy to it. It
is a useful therapy for bleeding from nose, urinary tract or uterus.
Palash
wood resin (gum):1-3
grams of Palash resin taken with Amla juice or with milk sweetened by candied
sugar strengthens the bones, fortifies the body to make it healthy, robust and
virile. Its gum mixed in hot water is a tested therapy in watery stool and
chronic diarrhhoea.
- Rishi Prasad March 2013
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