विधि : अँगूठा, तर्जनी (अँगूठे के पासवाली ऊँगली) व मध्यमा (सबसे बडी ऊँगली)- इन तीनों के अग्रभाग एक-दुसरे से मीलायें | अनामिका व कनिष्ठिका ऊंगलियाँ सीधी रखें |
लाभ : (१) रक्त- परिसंचरण नियमित होता हैं तथा ह्रदयरोगों में लाभदायी है |
(२) इस मुद्रा का नियमित अभ्यास उच्च रक्तचाप का रामबाण उपाय है | उच्च रक्तचाप एवं निम्न रक्तचाप पर नियंत्रण हेतु इस मुद्रा के अभ्यास के साथ एक अन्य प्रयोग करें :
जिव्हाबंध : जिव्हा का अग्रभाग तालू में लगायें और दोनों आँखों की पुतलियाँ भौहों की ओर ले जायें | इसके बाद सिंह मुद्रा अर्थात जिव्हा को मुँह से अधिक-से-अधिक बाहर निकालें और आँखों की पुतलियाँ भौंहों की और ले जायें | उपरोक्त दोनों क्रियाएँ अदल-बदलकर ५ – ५ बार करें | उच्च रक्तचापवालों के लिए तो यह आशीर्वादरूप है |
(३) गर्भिणींयों के लिए भी यह वरदानरूप है |
विशेष: इस सुंदर मुद्रा-विज्ञान का आधार हैं हमारे दोनों हाथ, जिनमे भगवत्शक्ति का निवास है | अत: ऊंगलियों की निरर्थक खींचातानी व उन पर आघात नही करने चाहिए | इनसे शरीर, मन या मस्तिष्क को हानि पहुँच सकती है | कभी कभी स्मरणशक्ति को भी आघात पहुँच सकता है | हमारे ऋषियों ने हमारा कितना खयाल रखा है कि प्रतिदिन सुबह करदर्शन करने का नियम हमारे लिए बना दिया :
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती |
करमूले तु गोविंद: प्रभाते करदर्शनम् ||
-ऋषिप्रसाद – जून २०१४
Simple and effective - Vyaan Mudra
Procedure: Point the tips of Thumb, Index finger and Middle finger together. Leave the Ring finger and Little finger straight1. It normalizes blood pressure and is effective against heart ailments.
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