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Monday, July 14, 2014

बथुआ खायें रोग भगायें

बथुआ (चाकवत) रुचिकर, पाचक, रक्तशोधक, दर्दनाशक, त्रिदोषशामक, शीतवीर्य तथा बल एवं शुक्राणु वर्धक है | वनस्पति विशेषज्ञों के अनुसार बथुए में लौह, सोना, क्षार, पारा, कैरोटिन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, प्रोटीन, वसा तथा विटामिन ‘सी’ व ‘बी - २’ पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं | बथुआ नेत्र, मूत्र व पेट संबंधी विकारों में विशेष लाभदायी है | बथुए की सब्जी, रस या उसका उबाला हुआ पानी पीने से पेट, यकृत, तिल्ली व गुर्दे (किडनी) से संबधित अनेक प्रकार के रोग, बवासीर व पथरी के रोग में लाभ होता है |

बथुए का साग

बथुए का साग बनाते समय कम-से-कम मसाले व घी – तेल का प्रयोग करना चाहिए | गाय के घी व जीरे का छौंक लगाकर सेंधा नमक डाल के बनाया गया बथुए का साग खाने से नेत्रज्योति बढती है | आँखों की लाली व सूजन उतर जाती है |

यह अमाशय को ताकत देता है | इससे कब्ज दूर होता है और वायुगोला व सिरदर्द भी मिट जाता है | शरीर में शक्ति आती है व स्फूर्ति बनी रहती है |

कच्चे रस के प्रयोग

१] बथुए के १०० मि.ली. रस में स्वादानुसार नमक मिला के रोज दो बार १० दिन तक पीने से पेट के कृमि मर जाते है |

२] एक गिलास रस में शहद मिलाकर रोज पीने से पथरी टूटकर निकल जाती है | इससे यकृत की क्रियाशीलता भी बढती है |

३] मूत्राशय, गुर्दे (किडनी) और पेशाब से संबंधित रोगों में बथुए का रस पीने से लाभ होता है |

बथुए के उबाले पानी का प्रयोग

१] ५० ग्राम बथुआ १ गिलास पानी में उबालकर छान के पीने से स्रियों को मासिक धर्म खुलकर आता है |

२] बथुए के पानी से दर्द्वाले घुटने का सेंक करें और बथुए की सब्जी खायें | इससे कुछ सप्ताह में ही घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है |

                                                                                                         -लोककल्याण सेतु – जून २०१४ से

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