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Sunday, August 14, 2016

एक्यूप्रेशर द्वारा ह्रदयरोग का इलाज


१] ह्रदय से संबंधित प्रतिबिम्ब केंद्र बायें तलवे तथा बायीं हथेली में ऊँगलियों से थोडा नीचे होते हैं | जहाँ दबाने से अपेक्षाकृत अधिक दर्द हो अर्थात काँटे जैसी चुभन हो, उन केन्द्रों पर विशेष रूप से दबाव दें |  ( देखें चित्र -१ )   



२] ह्रदयरोगों के निवारण के लिए स्नायु संस्थान, गुर्दों तथा फेफड़ों का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है | अत: इनसे संबंधित प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी दबाव देना चाहिए |  ( देखें चित्र – २ तथा ३ )

ह्रदयरोगों के निवारण तथा ह्रदय को सशक्त बनाने के लिए अंत:स्त्रावी ग्रंथियों ( पिट्युटरी, पीनियल, थायराँइड आदि ) की कार्यप्रणाली को अधिक प्रबल बनाने की आवश्यकता होती है | अत: इनसे संबंधित प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी दबाव देना चाहिए |

वर्तमान समय में अनियमित दिनचर्या, अप्राकृतिक खान-पान, व्यायाम तथा शारीरिक परिश्रम न करना, दवाइयों का अधिक सेवन करना, अपर्याप्त निद्रा, मानसिक तनाव, चिंता, ईर्ष्या, नशा करना आदि कारणों ह्रदयरोग बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं |

अत: उपरोक्त कारणों से बचें तथा पूज्य बापूजी द्वारा बतायी गयी जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या ( पढ़ें ऋषि प्रसाद, सितम्बर २०१५, पृष्ठ ३२ और ऑनलाइन भी पढ़ सकते हैं - http://successful-life-tips.blogspot.in/2013/03/blog-post_20.html इस लिंकपर ) के अनुसार अपना आहार – विहार रखें | सत्शास्त्रों व ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के सत्संग के पठन, श्रवण तथा चिंतन से तनाव, मानसिक अवसाद, चिंता, अशांति आदि दूर होते हैं, विचार सकारात्मक होते हैं तथा ह्रदय को आह्लादित, आनंदित और निरोग रखनेवाले द्रव्य पैदा होते हैं | इनका रोगी- निरोगी सभी लाभ ले सकते हैं |



स्त्रोत : ऋषिप्रसाद – अगस्त २०१६ से 

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