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Monday, March 19, 2018

आँखों का रक्षाकवच – संतकृपा सुरमा

कुशल वैद्यों द्वारा पूज्य बापूजी के मार्गदर्शन में बनी व पूज्यश्री द्वारा अनुभूत यह औषधि आँखों का रक्षाकवच है | इसे शास्त्रीय विधि से बनाकर शरद पूर्णिमा की शीतल चाँदनी से पुष्ट किया गया है | 

यह नेत्रज्योतिवर्धक व नेत्रपुष्टिकर है | आँखों की जलन कम करता है व संक्रमण को ठीक करता है | टीवी देखने, रात में अधिक देर तक जागने व कार्य करने, कम्प्यूटर पर लगातार कार्य करने आदि से उत्पन्न छोटे- बड़े सभी रोगों से यह आँखों की रक्षा करता है | 

इसके आगे बाजारू सुरमे, आई ड्रॉप्स या आँखों की अन्य दवाइयाँ कोई मायना नहीं रखती |

विशेष : ऋषिप्रसाद की द्विवार्षिक या पंचवार्षिक सदस्यता पर पायें संतकृपा सुरमे की १ शीशी अथवा आजीवन (१२ वर्ष) सदस्यता पर सुरमे की २ शीशियाँ या १ बड़ी शीशी का लाजवाब उपहार !


ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८से  

बरकत लाने की सरल कुंजियाँ

बाजार भाव अचानक बढ़ने-घटने से, मंदी की वजह से या अन्य कारणों से कईयों का धंधा बढ़ नहीं पाता | ऐसे में आपके काम-धंधे में भी बरकत का खयाल रखते हुए कुछ सरल उपाय प्रस्तुत कर रही है |

१] ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने व पूजा- स्थान पर गंगाजल रखने से बरकत होती है |

२] दुकान में बिक्री कम होती हो तो कनेर का फूल घिस के उसका ललाट पर तिलक करके दुकान पर जायें तो ग्राहकी बढ़ेगी |

३] रोज भोजन से पूर्व गोग्रास निकालकर गाय को खिलाने से सुख-समृद्धि व मान-सम्मान की वृद्धि होती है |

४] ईमानदारी से व्यवहार करें | ईमानदारी से उपार्जित किया हुआ धन स्थायी रहता है |



ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८ से 

उष्णोदक चिकित्सा

कफ ज्यादा है तो १ लिटर पानी धीमी आँच पर उबाल के २५० मि.ली. हो जाय तब उतार लो | जब जरूरत पड़े तब वह पियो तो कफ-शमन हो जायेगा | अगर पित्त की तकलीफ है तो १ लीटर में से उबाल के आधा लीटर कर लो और वायु की तकलीफ है तो १ लीटर में से उबाल के पौना लीटर कर लो | 

हजारों-लाखों रुपयों की दवाइयाँ और ऑपरेशन उतना काम नहीं करेंगे जितना यह उबला हुआ पानी पीने से काम होता है |


ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८ से 

पाचनशक्ति व स्मृतिवर्धक, ह्रदयरोग में लाभकारी – ओजस्वी चाय

खाली पेट चाय-कॉफ़ी पीने से धातुनाश होता है, कमर कमजोर होती है, गुर्दे और वीर्यग्रंथियों को नुकसान पहुँचता है तथा ओज क्षीण व वीर्य पतला हो जाता है |  इनकी जगह संत श्री आशारामजी आश्रमों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध ‘ओजस्वी आयुर्वेदिक चाय’ अथवा तो देशी गाय का दूध, छाछ या ऋतु – अनुकूल फलों का सेवन अच्छा स्वास्थ्य लाभ तो देता ही है, साथ ही शरीर को पुष्ट भी करता है |

ओजस्वी चाय में विभिन्न घटक व उनके लाभ :   
सोंठ : कफनाशक, जठराग्निवर्धक | ब्राह्मी : स्मृति, मेधाशक्ति व मनोबल वर्धक | अर्जुन : ह्रदयपुष्टिकर, ह्रदयबलवर्धक, रक्तशोधक, अस्थि-पुष्टिकर | दालचीनी: ह्रदय व यकृत उत्तेजक, ओजवर्धक | तेजपत्र: सुगंध व स्वाददायक, पाचक | शंखपुष्पी: तनावमुक्त करनेवाली, निद्राजनक | काली मिर्च : जठराग्निवर्धक, कृमिनाशक | लाल चंदन : दाहशामक, नेत्रहितकर | नागरमोथ : पित्तशामक, कृमिनाशक | इलायची : त्रिदोषशामक, मुखदुर्गधिहर | कुलंजन : कंठशुद्धिकर, बहुमुत्रता में उपयुक्त | जायफल : स्वर व वर्ण सुधारनेवाला | मुलेठी (युष्टिमधु) : स्वरसुधारक | सौंफ : नेत्रज्योतिवर्धक |

विशेष : एकाध घंटा पहले अथवा रात को पानी में भिगोकर रखी हुई ओजस्वी चाय सुबह उबालें तो वह और अधिक गुणकारी होगी |

ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८ से 

स्वास्थ्यरक्षक दैवी उपाय

रात को देर से भोजन नहीं करना चाहिए | जितना देर से भोजन करोगे उतना अम्लपित्त, अजीर्ण होता है | सुबह-शाम खाली पेट वज्रासन में बैठो, श्वास बाहर निकाल दिया और पेट को २५ बार अंदर-बाहर किया | मन में अग्निदेव के बीजमंत्र ‘रं – रं....’ का जप किया, फिर श्वास ले लिया | ऐसा ५ बार करो, कितनी भी मंदाग्नि हो, अम्लपित्त हो और कंधे आदि में दर्द होता हो, सब अपने-आप दूर हो जाता है |

कैसी भी बीमारी हो, सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और अर्घ्य दी हुई गीली मिट्टी का तिलक करें और बचा हुआ थोडा-सा जल हाथ में ले के चिंतन करें : ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: | ॐ आरोग्यप्रदायकाय सूर्याय नम: | ( यह बीजसंयुक्त मंत्र है | ) मेरे आरोग्य की रक्षा करनेवाले सूर्य भगवान की मैं उपासना करता हूँ, यह जल पान करता हूँ |’ और उस पानी को पी लें | फिर नाभि में सूर्यनारायण का ध्यान करें, स्वास्थ्य-मंत्र जपें और बल का चिंतन करें | – पूज्य बापूजी
 

ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८ से 

देशी गाय के दूध की बहूपयोगिता

गाय मानव-जीवन के लिए बहुत ही हितकारी है | गाय को माता कहा गया है | इसके दूध की बहूपयोगिता अब वैज्ञानिकों ने भी विभिन्न प्रयोगों द्वारा सिद्ध की है |

वैज्ञानिकों के अनुसार देशी गाय के दूध में ८ प्रकार के प्रोटीन, ६ प्रकार के विटामिन, २१ प्रकार के अमिनो अम्ल, ११ प्रकार के वसीय अम्ल, २५ प्रकार के खनिज तत्त्व, १६ प्रकार के नाइट्रोजन यौगिक, ४ प्रकार के फॅास्फोरस  यौगिक, २ प्रकार की शर्करा तथा इनके अलावा मुख्य खनिज सोना, ताँबा, लोहा, कैल्शियम, आयोडीन, फ़्लोरिन, सिलिकॉन आदि भी पाये जाते हैं |

इन सब तत्त्वों के विद्यमान होने से गाय का दूध एक उत्कृष्ठ प्रकार का रसायन (टॉनिक) है, जो शरीर में पहुँचकर रस, रक्त, मांस, अस्थि, मेद, मज्जा और वीर्य को समुचित मात्रा में बढ़ाता है | यह पित्तशामक एवं बुद्धि व सात्त्विकता वर्धक है |

ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८से 

हानिकारक केमिकल मोस्कीटो रिपेलंट से सावधान

अधिकतर chemical mosquito repellents (रासायनिक मच्छर विकर्षक) उत्पादों में DEET (N.N- Diethyl-meta-toluamide) नामक केमिकल का उपयोग किया जाता हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता हैं | इसके उपयोग से त्वचा में उत्तेजना व चकते, होंठों में जलन व सुन्नपन, मिचली, सिरदर्द, चक्कर आना, एकाग्र होने में कठिनाई आदि समस्याएँ पैदा होती हैं | अमेरिका की ‘एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी’ (EPA)के अनुसार(DEET) के लगातार प्रयोग से मस्तिष्क तथा अन्य अंगों को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है | दमा आदि श्वास से संबंधित एवं अन्य गम्भीर बीमारियाँ भी होने की सम्भावना रहती हैं |
यदि आप केमिकल मोस्कीटो रिपेलंट जलाते हैं तो उससे मच्छर तो भागते हैं लेकिन उपरोक्त भयानक हानियों से बच नहीं सकते | अत: सावधान !

केमिकल के जहरीले दुष्प्रभाव से बचने के लिए प्रस्तुत हैं एक सरल घरेलू प्रयोग | आप मोस्कीटो रिपेलंट की शीशी में तरल केमिकल की जगह पर ४५ मि.ली. तारपीन का तेल (Turpentine Oil) भर दें | शीशी पूरी न भरें | इसमें १ से २ ग्राम भीमसेनी कपूर चूर्ण डाल दें और अच्छी तरह घोल लें | शुद्ध रवेदार (crystalline) या चूर्ण रूप भीमसेनी कपूर का ही प्रयोग करें, अन्य कपूर का नहीं

इस प्राकृतिक मच्छर – विकर्षक को आजमाकर देखें | इसको और भी प्रभावशाली एवं खुशबूदार बनाना हो तो इसमें सिट्रोनेला (citronella), गुलमेहंदी (rosemary), नीम, तुलसी, लैवेंडर, पिपरमिंट, गेंदा आदि सुंगधित वानस्पतिक तेलों का सूक्ष्म मात्रा में प्रयोग कर मच्छर भगाने के साथ अन्य अनेक स्वास्थ्य संबंधी व आध्यात्मिक विशेष लाभ उठाये जा सकते हैं | इससे केमिकल से तो बचेंगे, साथ ही पुण्यमयी तुलसी के लाभों का भी आपको फायदा मिलेगा |

(अगर ऐसे निर्दोष उपायों से पूरा लाभ न मिले तो आप मच्छरदानी का उपयोग करिये लेकिन केमिकल मोस्कीटो रिपेलंट का उपयोग कभी मत कीजिये |)


ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८ से    

Sunday, March 18, 2018

प्रसव-पीड़ा घटाने और ह्रष्ट –पुष्ट व गोरी संतान पाने हेतु

गर्भिणी रोज प्रात:काल २५-२५ ग्राम नारियल और मिश्री चबा के खाये तो प्रसव में दर्द कम होता है व गर्भस्थ शिशु  ह्रष्ट –पुष्ट और गोरा होता है |

[ अष्टमी को नारियल खाना वर्जित हैं |]


ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८ से 

परीक्षा के दिनों विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभकारी

v प्रात: ब्राह्ममुहूर्त में उठकर ५-७ मिनट ध्यान करने के पश्चात पढ़ने से पढ़ा हुआ जल्दी याद होता है |
v पढ़ाई के पहले २१ बार सारस्वत्य मंत्र जपनेवाले बच्चे पढ़ाई में आगे आयेंगे, पक्की बात हैं !
v देर रात तक चाय-कॉफ़ी पीते हुए पढ़ने से बुद्धिशक्ति का क्षय होता है |
v प्रसन्नचित्त होकर पढ़ें, तनावग्रस्त हो के नहीं |
v दिनचर्या बना के तत्परता से उसका पालन करें, इससे समय नष्ट होने से बचेगा | समय का सदुपयोग करें, दुरुपयोग नहीं |
v पढ़ते समय अगर आलस्य या नींद आती है तो कमरे में हरे रंग के पर्दे लगा दो तो व्यर्थ का आलस्य और नींद कम हो जायेगी |
v लम्बा श्वास लेकर दीर्घ प्रणव (ॐकार) का जप करो | जितना समय उच्चारण में लगे उतनी देर शांत हो जाओ | १० से १२ मिनट तक ॐकार – गुंजन करने तथा ॐकार मंत्र का अर्थसहित ध्यान करने से हारे को हिम्मत, थके को विश्रांति मिलती है, भूले को अंतरात्मा मार्गदर्शन करता है |
v तनाव, चिंता दूर भगायें : भगवन्नाम जप करते हुए हाथ ऊँचे करके हास्य-प्रयोग करें तो सारे – के – सारे तनाव गायब ! जीवन धन्य-धन्य हो जायेगा | महर्षि च्यवन द्वारा खोजा गया ‘तृप्ति प्राणायाम’ चिंता, तनाव एवं थकान दूर कर नयी ऊर्जा, नयी उमंग जगाने के लिए विद्यार्थियों हेतु भी वरदान है |

विधि : पहले शुद्ध हवामान में दायें नथुने से श्वास लिया, बायें से छोड़ा तथा बायें से लिया, दायें से छोड़ा – इस प्रकार ५-१० बार करें | बाद में दोनों नथुनों से पूरा श्वास भरा, एक – दो बार गुरुमंत्र जपा और ‘आनंद....आनंद...’ चिंतन किया तथा फूँक मार के श्वास मुँह से निकाल दिया और उसके साथ अशांति, अतृप्ति को भी बाहर फेंक दिया | ऐसा ५० से १०० बार करो | बस, आपके जीवन में उसी समय तृप्ति, प्रसन्नता होने लगेगी |  
v  बुद्धि को पुष्ट करने का सुंदर उपाय : पलाश व बेल के पत्ते और घी एवं मिश्री मिश्रित करके उसका हवन करें तथा उसके धूप में प्राणायाम करके सारस्वत्य मंत्र अथवा भगवन्नाम जपें तो बुद्धि में बल आ जायेगा, स्मृतिशक्ति बढ़ेगी | हवन की जगह पलाश, बेल पत्ते आदि सामग्री मिलाकर बनायी गयी ‘स्पेशल गौ – चन्दन धूपबत्ती’ का उपयोग करना बेहद आसान व सुविधाजनक है |
v विद्यार्थियों व सभीके लिए लाभकारी स्मृति, मेधाशक्ति व मनोबल वर्धक तथा तनावमुक्त करनेवाली आयुर्वेदिक ‘ओजस्वी चाय’ का लाभ जरुर उठाये |

परीक्षा के क्षणों में ....
१] परीक्षा- कक्ष में प्रश्नपत्र मिलने से पूर्व अपने इष्टदेव या गुरुदेव को प्रार्थना करें |
२] सर्वप्रथम पुरे प्रश्नपत्र को एकाग्रचित्त होकर पढ़ें |
३] सरल प्रश्नों के उत्तर पहले लिखें |
४] उत्तर सुंदर व स्पष्ट अक्षरों में लिखें |
५] किसी भी कीमत पर धैर्य न खोएं | दृढ़ पुरुषार्थ करते रहें | निर्भयता, उद्यम,साहस व धैर्य बनाये रखें | भ्रूमध्य में ‘गं गं गं गणपतये नम:’ मंत्र देखें व मन में रटें, इससे अच्छे उत्तर आते हैं |

इन बातों को समझकर अमल किया जाय तो केवल लौकिक शिक्षा में ही नहीं वरन जीवन की हर परीक्षा में विद्यार्थी सफल हो जायेगा |


ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८ से 

मंत्रजप – संबंधी सावधानियाँ

१] माला हेतु स्वच्छता: जूठे मुँह, जूठे हाथ या मल-मूत्र या किसी विवशता में साधना से उठना पड़े तो माला लेकर बैठ गये,नहीं | हाथ-पैर धोकर या स्नान करके मंत्रजप करें | माला पहनकर शौचालय में नहीं जाना चाहिए, अगर चले गये तो मालासहित स्नान कर लें और माला धो के पहन लें | स्त्रियों को रात्रि में मासिक धर्म हो गया हो तो स्नान जरुर कर लेना चाहिए |

२] मासिक धर्म में : महिलाओं को मासिक धर्म में न तो माला पहननी चाहिए न माला घुमानी चाहिए और न ॐकार मंत्र जपना चाहिए | जैसे ‘हरि ॐ’ मंत्र है तो ‘हरि, हरि’ जपें, ‘ॐ नम:शिवाय’ मंत्र है तो ‘नम:शिवाय’ जपें |’ॐ ऐं नम:’ है तो ‘ऐं नम:’ जपें |

३] जननाशौच व मरनाशौच में : जननाशौच (संतान – जन्म के समय लगनेवाला अशौच अर्थात सूतक ) के समय प्रसूतिका स्त्री (संतान की माता ) ४० दिन तक व संतान का पिता १० दिन तक माला लेकर जप न करें | इसी प्रकार मरणाशौच (मृत्यु के समय लगनेवाला अशौच अर्थात पातक) में १३ दिन तक माला लेकर जप नहीं किया जा सकता किंतु मानसिक जप तो प्रत्येक अवस्था में किया जा सकता है |


ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८से 

Sunday, March 11, 2018

वसंत ऋतू की व्याधियों में उपयोगी प्रयोग

१] सूखी खाँसी : तवे पर भुने हुए अलसी के बीजों का आधा चम्मच चूर्ण शहद में मिला के चाटने से लाभ होता है |

२] कफवाली खाँसी : त्रिफला (हरड, बहेड़ा व आँवला), त्रिकुट (सोंठ, काली मिर्च व पीपर) समभाग ले के पीस लें | १ ग्राम चूर्ण को शहद मिला के चाटने से फायदा होता है |

३] सर्दी-जुकाम : एक गिलास गुनगुना पानी ऐसे पियो जैसे चाय या दूध पीते हैं, २-४ दिन में सर्दी-जुकाम गायब ! हो सके तो उसमें थोडा संतकृपा चूर्ण डालें, चमत्कारिक फायदा होगा |

४] गर्मी के कारण होनेवाला सिरदर्द : जौ का आटा पानी में घोल के ललाट पर लगाने से आराम मिलता है |

लाभकारी औषधियाँ
v खाँसी में : कफ सिरप, अडूसा अर्क, सितोपलादि चूर्ण |
v सर्दी-जुकाम में : अडूसा अर्क, तुलसी अर्क, अमृत द्रव, योगी आयु तेल, संतकृपा चूर्ण |


लोककल्याण सेतु – मार्च  २०१८से 

स्वप्न में देशी गौवंश व गौ-उत्पादों के दर्शन से शुभ फल

स्वप्न में गौओं, उनसे प्राप्त दूध, दही आदि गव्यों तथा प्रसंगों, क्रियाओं के दर्शन से नीचे दिये अनुसार विभिन्न फल प्राप्त होते हैं |

१] साँड अथवा गौ-दर्शन से कल्याण-लाभ, व्याधि-नाश, कुटुम्ब-वृद्धि होती है | सभी काली वस्तुओं का दर्शन निंद्ध माना जाता है जबकि काली गाय का दर्शन शुभ होता है | गौ के थन को चूसना भी श्रेष्ठ माना गया है |
२] गौ का घर में ब्याना, बैल या साँड की सवारी करना, तालाब के बीच में घी-मिश्रित खीर का भोजन उत्तम माना गया है | घी सहित खर का भोजन तो राज्यप्राप्ति का सूचक माना गया है |
३] स्वप्न में ताजे दुहे हुए फेनसहित दुग्ध का पान करनेवाले को अनेक भोगों की तथा दही के दर्शन से प्रसन्नता की प्राप्ति होती है |
४] जो बैल अथवा साँड से युक्त रथ पर अकेला सवार होता है और उसी अवस्था में जाग जाता है उसे शीघ्र धन मिलता है |
५] घी मिलने या दही खाने से यश की तथा दही मिलने से धन की प्राप्ति निश्चित है | इसी प्रकार यात्रा आरम्भ करते समय दही और दूध का दिखना शुभ शकुन माना गया है |
६] दही-भात खाने से कार्यसिद्धि होती है तथा बैल पर चढ़ने से धन-लाभ होता है एवं व्याधि से छुटकारा मिलता है |

स्वप्न में उपरोक्त अनुसार देशी गोवंश व गाय के दूध-दही आदि के दर्शनमात्र से यदि इतना फल मिल सकता है तो प्रत्यक्ष देशी गाय के दर्शन व सेवा से कितना महान फल मिलता होगा, आप सोच सकते हैं लेकिन जो भी सोचेंगे फल उससे कई-कई गुना अधिक ही होगा |


लोककल्याण सेतु – मार्च  २०१८से