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Monday, March 19, 2018

स्वास्थ्यरक्षक दैवी उपाय

रात को देर से भोजन नहीं करना चाहिए | जितना देर से भोजन करोगे उतना अम्लपित्त, अजीर्ण होता है | सुबह-शाम खाली पेट वज्रासन में बैठो, श्वास बाहर निकाल दिया और पेट को २५ बार अंदर-बाहर किया | मन में अग्निदेव के बीजमंत्र ‘रं – रं....’ का जप किया, फिर श्वास ले लिया | ऐसा ५ बार करो, कितनी भी मंदाग्नि हो, अम्लपित्त हो और कंधे आदि में दर्द होता हो, सब अपने-आप दूर हो जाता है |

कैसी भी बीमारी हो, सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और अर्घ्य दी हुई गीली मिट्टी का तिलक करें और बचा हुआ थोडा-सा जल हाथ में ले के चिंतन करें : ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: | ॐ आरोग्यप्रदायकाय सूर्याय नम: | ( यह बीजसंयुक्त मंत्र है | ) मेरे आरोग्य की रक्षा करनेवाले सूर्य भगवान की मैं उपासना करता हूँ, यह जल पान करता हूँ |’ और उस पानी को पी लें | फिर नाभि में सूर्यनारायण का ध्यान करें, स्वास्थ्य-मंत्र जपें और बल का चिंतन करें | – पूज्य बापूजी
 

ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८ से 

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