रात को देर से भोजन नहीं
करना चाहिए | जितना देर से भोजन करोगे उतना अम्लपित्त, अजीर्ण होता है | सुबह-शाम
खाली पेट वज्रासन में बैठो, श्वास बाहर निकाल दिया और पेट को २५ बार अंदर-बाहर
किया | मन में अग्निदेव के बीजमंत्र ‘रं – रं....’ का जप किया, फिर श्वास ले लिया
| ऐसा ५ बार करो, कितनी भी मंदाग्नि हो, अम्लपित्त हो और कंधे आदि में दर्द होता
हो, सब अपने-आप दूर हो जाता है |
कैसी भी बीमारी हो,
सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और अर्घ्य दी हुई गीली मिट्टी का तिलक करें और बचा हुआ
थोडा-सा जल हाथ में ले के चिंतन करें : ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: | ॐ
आरोग्यप्रदायकाय सूर्याय नम: | ( यह बीजसंयुक्त मंत्र है | ) मेरे आरोग्य की रक्षा
करनेवाले सूर्य भगवान की मैं उपासना करता हूँ, यह जल पान करता हूँ |’ और उस पानी
को पी लें | फिर नाभि में सूर्यनारायण का ध्यान करें, स्वास्थ्य-मंत्र जपें और बल
का चिंतन करें | – पूज्य बापूजी
ऋषिप्रसाद – मार्च २०१८ से
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