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Monday, October 15, 2018

पौष्टिक तत्त्वों व ऊर्जा से भरपूर – चुकंदर

चुकंदर (beet) मधुर, कसैला, शीतल व पचने में भारी होता है | इसमें रेशे विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ तथा
लौह, कैल्शियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस आदि खनिज तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं | इसका सलाद व रस के रूप में अथवा उबाल के सेवन किया जाता है | इसका रस पोषण, ऊर्जा, रोग-निवारण तथा स्वास्थ्य-संरक्षण की दृष्टि से उत्तम है |

चुकंदर पेशाब खुलकर लानेवाला, रक्त व रोगप्रतिकारक शक्ति वर्धक है | यह ह्रदय को शक्तिशाली बनाता है | यह यकृत को शक्ति देता है व दिमाग को तरोताजा रखता है | इसके रेशे जठर और आँतों को साफ़ करते हैं | इससे दिमाग की गर्मी तथा मानसिक कमजोरी दूर होती है | चुकंदर के नियमित सेवन से बच्चों को दूध पिलानेवाली माताओं में दूध की वृद्धि होती है | यह प्राकृतिक शर्करा का अच्छा स्त्रोत हैं |

चुकंदर पथरी, मूत्र-संक्रमण, मधुमेह, यकृत की सूजन, टी.बी., स्नायुओं का दर्द एवं कमजोरी, उच्च रक्तचाप, कब्ज, बवासीर आदि में लाभदायी है | इसका सलाद नियमित खाने से अथवा रस पीने से पेशाब की जलन में फायदा होता है |

औषधीय प्रयोग
१] रक्त की कमी : एक-एक चुकंदर व अनार तथा थोडा हरा धनिया – इनका रस निकाल के दिन १ या २ बार लेने से चमत्कारिक लाभ होता है |

२] बवासीर : बवासीर में जलन होती हो तो ५० मि.ली. चुकंदर के रस में १ चम्मच धनिया का रस मिलाकर दिन में दो बार पियें अथवा भोजन से पूर्व उबले हुए चुकंदर में धनिया मिला के खायें |

३] उच्च रक्तचाप : उच्च रक्तचाप के कारण सिर में भारीपन, गर्मी, अस्वस्थता होने पर चुकंदर व लौकी का ५० – ५० मि.ली. रस एवं १ चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट तथा शाम को लेने से लाभ होता है |

४] पाचनक्रिया सुधारने तथा पित्तजन्य रोगों में : चुकंदर के एक कप रस में एक चम्मच नींबू का रस मिला के पीने से पाचनक्रिया में सुधार होता है तथा अम्लपित्त, उलटी, पीलिया आदि पित्तजन्य रोगों में लाभ होता है |
५] स्मरणशक्ति बढ़ाने हेतु : दिन में २ बार चुकंदर का रस पीने से स्मरणशक्ति बढ़ती है |

सावधानी : चुकंदर आदि कंद पचने में भारी होते है अत: इनका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए | जिनकी पाचनशक्ति कमजोर हो वे उसे पकाकर खायें |

लोककल्याणसेतु – अक्टूबर २०१८ से 

सुख-समृद्धि के लिए


दीपावली पर घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर तथा अन्य स्थानों पर ‘शुभ-लाभ’ लिखा जाता है और स्वस्तिक का चिन्ह बनाया जाता है | इससे शुभ पक्ष का आगमन शुरू हो जाता है और हमारे जीवन से जुड़ें अशुभ पक्षों का खात्मा शुरू हो जाता है | हल्दी, चंदन, सिंदूर या कुमकुम से ‘शुभ’ और ‘लाभ’ लिखने से महालक्ष्मीसहित श्रीगणेश भी प्रसन्न होते है | स्वस्तिक को मंगल भावना एवं सुख-सौभाग्य का द्योतक माना जाता है एवं वैज्ञानिक दृष्टि से यह प्रचंड सकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत है | वास्तुशास्त्र के अनुसार भवन के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाकर ‘शुभ-लाभ’ लिखने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है |

लोककल्याणसेतु – अक्टूबर २०१८ से

Tuesday, October 9, 2018

गला खराब है तो.....


अगर गला खराब है, नाक बह रही है, सर्दी हो गयी है तो टेबलेट लेने की जरूरत नहीं हैं | अंग्रेजी दवाई सर्दी मिटाने के लिए हितकर नहीं है |

वमनं कफशमनम् | अर्थात वमन से कफ का शमन हो जाता है | एक-सवा लीटर गुनगुना पानी लो | उसमें १०-१५ ग्राम सेंधा नमक डाल दो | वह पानी पंजों के बल बैठ के पियो और वमन करो तो हो गयी बात पूरी |

ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१८ से

पाचन व भूख की वृद्धि हेतु


खजूर में अदरक, काली मिर्च (कम मात्रा में ), सेंधा नमक आदि मिलाकर चटनी, बनायें | इसमें एकटक देखते हुए २१ बार ‘ॐ राम’ मंत्र का जप करें | 

विधिपूर्वक बनायी गयी इस चटनी को खाने से भूख खुलकर लगती है व पाचन ठीक से होता है | यह पौष्टिक और बलप्रद भी है |

ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१८ से

कमर-दर्द मिटाने व शक्ति बढ़ाने हेतु


रात में ६० ग्राम गेहूँ व २ बादाम पानी में भिगो दें | सुबह गेहूँ और बादाम (छिलके निकाल के ) ३० ग्राम खसखस के साथ मिला के बारीक पीस लें | 

इस मिश्रण को दूध में पकाकर खीर बना लें | आवश्कतानुसार १ से २ हफ्ते खाने से कमर का दर्द दूर होता है तथा ताकत भी बढ़ती है |

ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१८ से

दमे को नियंत्रित करने व मिटाने के लिए


क्या करें
१] दमे का दौरा पड़े तो जिस नथुने से श्वास चल रहा हो, तत्काल उसे बंद कर दूसरे नथुने से श्वास लें | इससे दमे का जोर कम होगा |
२] पानी उबाल के पियें | हवा का आवागमन शुद्ध रखें | अनुकूलता के अनुसार हलका व्यायाम, योगासन, प्राणायाम नियमित करें |
३] हरि ॐ शांति .... का जप इसमें लाभप्रद है |
४] गोझरण व तुलसी अर्क, तुलसी-पत्ते, प्राणदा टेबलेट आदि का सेवन बेहद लाभदायी है |
५] शरद पूनम पर संत श्री आशारामजी आश्रमों में दमा मिटानेवाली बूटी नि:शुल्क मिलती है, उसका लाभ लें |
क्या न करें
१] ज्यादा शीतल पदार्थ, खट्टी चीजें, मिठाई, तले हुए पदार्थ, दही-चावल आदि    कफवर्धक पदार्थो के सेवन से बचें |
२] अधिक व्यायाम, थकानेवाले काम, रुक्ष अन्न, धूल के कण व धूआँयुक्त वातावरण, मल-मूत्र को रोकना आदि से बचें |
३] पंखे की सीधी हवा में न सोयें | एयर-कंडिशनर, एयर कूलर भी दमा के वेग को बढ़ाते हैं |
४] शराब, तम्बाकू, बीडी, सिगरेट का सेवन तथा परफ्यूम्स आदि का उपयोग न करें |

सभी औषधियाँ आश्रम व समिति के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध हैं |

ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१८ से

वर्षभर के लिए स्वास्थ-संवर्धन का काल


शीत ऋतू के अंतर्गत हेमंत व शिशिर ऋतुएँ ( २३ अक्टूबर २०१८ से १७ फरवरी २०१९ तक ) आती हैं | स्वास्थ्य की दृष्टी से इसे सबसे बेहतर समय माना गया है | इस ऋतू में चन्द्रमा की शक्ति सूर्य की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती है इसलिए इस ऋतू में पृथ्वी के रस में भरपूर वृद्धि होने से औषधियाँ, वृक्ष और जीव भी पुष्ट होते हैं | इन दिनों में शरीर में कफ का संचय होता है तथा पित्तदोष का शमन होता है | जठराग्नि तीव्र होने के कारण पाचनशक्ति प्रबल रहती है | अत: इस समय लिया गया पौष्टिक और बलवर्धक आहार वर्षभर शरीर को तेज, बल और पुष्टि प्रदान करता है |

शीत ऋतू में सेवनीय
इस ऋतू में मधुर, खट्टा तथा खारा रसप्रधान आहार लेना चाहिए | पौष्टिकता से भरपूर, गर्म व स्निग्ध प्रकृति के पदार्थो का यथायोग सेवन करना चाहिए | मौसमी फल जैसे संतरा, आँवला आदि व शाक-परवल, बैंगन, गोभी, गाजर, बथुआ, मेथी, हरे साग आदि का सेवन करना चाहिए | दूध, घी, मक्खन, शहद, उड़द, तिल, सूखे मेवे जैसे – खजूर, किसमिस, खोपरा, काजू, बादाम, अखरोट आदि पौष्टिक पदार्थों का सेवन हितकारी है | ताज़ी छाछ, नींबू आदि का सेवन कर सकते हैं | रात को भोजन के २.३० – ३ घंटे बाद दूध पीना लाभदायी है | पीने हेतु गुनगुने जल का प्रयोग करें |

इनसे बचें
इस ऋतू में बर्फ अथवा फ्रिज का पानी, रूखे-सूखे, कसैले, तीखे तथा कड़वे रसप्रधान द्रव्यों, वातकारक और बासी पदार्थों का सेवन न करें | इन दिनों में खटाई का अति प्रयोग न करे ताकि कफ का प्रकोप और खाँसी, दमा, नजला, जुकाम जैसी व्याधियाँ न हों | इन दिनों भूख को मारना या समय पर भोजन न करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं है अत: उपवास भी अधिक नहीं करने चाहिए |

विशेष सेवनीय
स्वास्थ्य-रक्षा हेतु व शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए अश्वगंधा पाक, सौभाग्य शुंठी पाक, बाह्म रसायन, च्यवनप्राश जैसे बल-वीर्यवर्धक एवं पुष्टिदायी पदार्थों का सेवन अत्यंत लाभदायी है | अश्वगंधा चूर्ण या अश्वगंधा टेबलेट, आँवला रस, आँवला चूर्ण, सप्तधातुवर्धक बूटी आदि आयुर्वेदिक औषधियों का भी यथायोग्य सेवन किया जा सकता है | इस ऋतू में हरड व सोंठ का चूर्ण समभाग मिलाकर (इसमें समभाग पुराना गुड़ मिला के २-२ ग्राम की गोलियाँ बना के रख सकते हैं |) २ से ३ ग्राम सुबह खाली पेट लें | यह उत्तम रसायन है |

इन बातों का भी रखें खयाल
इस ऋतू में प्रतिदिन प्रात:काल दौड़ लगाना, शुद्ध वायु-सेवन हेतु भ्रमण, सूर्यकिरणों का सेवन, योगासन आदि करने चाहिए | तिल अथवा सरसों के तेल से शरीर की मालिश करें | तेल-मालिश के बाद शरीर पर उबटन (जैसे सप्तधान्य उबटन) लगाकर स्नान करना हितकारी होता है | ऊनी वस्त्र पहनना इस मौसम में लाभकारी है | ठंडी हवा से बचें |
ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१८ से

सुख-शांति, संतति व स्वास्थ्य प्रदायक गौ-परिक्रमा


पूज्य बापूजी कहते है: “संतान को बढ़िया, तेजस्वी बनाना है तो गर्भिणी अलग-अलग रंग की ७ गायों की प्रदक्षिणा करके गाय को जरा सहला दे, आटे-गुड़ आदि का लड्डू खिला दे या केला खिला दे, बच्चा श्रीकृष्ण के कुछ-न-कुछ दिव्य गुण ले के पैदा होगा | कइयों को ऐसे बच्चे हुए हैं |”

विशेष लाभ हेतु
सप्तरंगो की गायों की १०८ परिक्रमा कर अधिक लाभ उठा सकते हैं | गर्भवती महिला द्वारा सामान्य गति से प्रदक्षिणा करने पर शरीर पर कोई तनाव न पड़ते हुए श्वास द्वारा रक्त एवं ह्रदय का शुद्धिकरण होता है | इससे गर्भस्थ शिशु को भी लाभ होता है | इससे गर्भस्थ शिशु को भी लाभ होता है | गर्भिणी सदगुरुप्रदत्त गुरुमंत्र या भगवन्नाम का जप करते हुए परिक्रमा करे, यह अधिक लाभदायी होगा |

ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१८ से