शीत ऋतू के अंतर्गत हेमंत व शिशिर ऋतुएँ ( २३ अक्टूबर २०१८ से १७ फरवरी २०१९
तक ) आती हैं | स्वास्थ्य की दृष्टी से इसे सबसे बेहतर समय माना गया है | इस ऋतू
में चन्द्रमा की शक्ति सूर्य की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती है इसलिए इस ऋतू में
पृथ्वी के रस में भरपूर वृद्धि होने से औषधियाँ, वृक्ष और जीव भी पुष्ट होते हैं |
इन दिनों में शरीर में कफ का संचय होता है तथा पित्तदोष का शमन होता है | जठराग्नि
तीव्र होने के कारण पाचनशक्ति प्रबल रहती है | अत: इस समय लिया गया पौष्टिक और
बलवर्धक आहार वर्षभर शरीर को तेज, बल और पुष्टि प्रदान करता है |
शीत ऋतू में सेवनीय
इस ऋतू में मधुर, खट्टा तथा खारा रसप्रधान आहार लेना चाहिए | पौष्टिकता से भरपूर,
गर्म व स्निग्ध प्रकृति के पदार्थो का यथायोग सेवन करना चाहिए | मौसमी फल जैसे
संतरा, आँवला आदि व शाक-परवल, बैंगन, गोभी, गाजर, बथुआ, मेथी, हरे साग आदि का सेवन
करना चाहिए | दूध, घी, मक्खन, शहद, उड़द, तिल, सूखे मेवे जैसे – खजूर, किसमिस,
खोपरा, काजू, बादाम, अखरोट आदि पौष्टिक पदार्थों का सेवन हितकारी है | ताज़ी छाछ,
नींबू आदि का सेवन कर सकते हैं | रात को भोजन के २.३० – ३ घंटे बाद दूध पीना
लाभदायी है | पीने हेतु गुनगुने जल का प्रयोग करें |
इनसे बचें
इस ऋतू में बर्फ अथवा फ्रिज का पानी, रूखे-सूखे, कसैले, तीखे तथा कड़वे
रसप्रधान द्रव्यों, वातकारक और बासी पदार्थों का सेवन न करें | इन दिनों में खटाई
का अति प्रयोग न करे ताकि कफ का प्रकोप और खाँसी, दमा, नजला, जुकाम जैसी व्याधियाँ
न हों | इन दिनों भूख को मारना या समय पर भोजन न करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी
नहीं है अत: उपवास भी अधिक नहीं करने चाहिए |
विशेष सेवनीय
स्वास्थ्य-रक्षा हेतु व शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए अश्वगंधा पाक, सौभाग्य
शुंठी पाक, बाह्म रसायन, च्यवनप्राश जैसे बल-वीर्यवर्धक एवं पुष्टिदायी पदार्थों
का सेवन अत्यंत लाभदायी है | अश्वगंधा चूर्ण या अश्वगंधा टेबलेट, आँवला रस, आँवला
चूर्ण, सप्तधातुवर्धक बूटी आदि आयुर्वेदिक औषधियों का भी यथायोग्य सेवन किया जा
सकता है | इस ऋतू में हरड व सोंठ का चूर्ण समभाग मिलाकर (इसमें समभाग पुराना गुड़
मिला के २-२ ग्राम की गोलियाँ बना के रख सकते हैं |) २ से ३ ग्राम सुबह खाली पेट
लें | यह उत्तम रसायन है |
इन बातों का भी रखें खयाल
इस ऋतू में प्रतिदिन प्रात:काल दौड़ लगाना, शुद्ध वायु-सेवन हेतु भ्रमण,
सूर्यकिरणों का सेवन, योगासन आदि करने चाहिए | तिल अथवा सरसों के तेल से शरीर की
मालिश करें | तेल-मालिश के बाद शरीर पर उबटन (जैसे सप्तधान्य उबटन) लगाकर स्नान
करना हितकारी होता है | ऊनी वस्त्र पहनना इस मौसम में लाभकारी है | ठंडी हवा से
बचें |
ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१८ से
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