वर्षा ऋतू में वात दोष कुपित हो जाता है और पाचनशक्ति
अधिक दुर्बल हो जाती है | इस ऋतू में
वात-पित्तजनित व अजीर्णजन्य रोगों का प्रार्दुभाव होता है | दस्त, पेचिश,
मंदाग्नि, अफरा, गठिया, संधियों में सूजन आदि बीमारियाँ होने की सम्भावना रहती है
| अत: इस ऋतू में वातशामक व जठराग्नि-प्रदीपक पदार्थों का सेवन करना लाभदायी है |
पुदीना एक ऐसी औषधि है जो अपने वात-कफशामक व पाचक गुणों
के कारण वर्षा ऋतू में होनेवाले अनेक रोगों में गुणकारी है | इसमें रोगप्रतिकारक
शक्ति तथा पाचक रसों को उत्पन्न करने का विशेष गुण है | यह रुचिकारक, स्फूर्ति व
प्रसन्नता वर्धक है |
पुदीने के इन गुणों का लाभ सहज में पा सकें इस उद्देश्य से
संत श्री आशारामजी आश्रम की समितियों के सेवाकेन्द्रों पर पुदीना अर्क उपलब्ध
कराया गया है |
यह अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, अजीर्ण, दस्त, उलटी, संग्रहणी, पेचिश,
पेटदर्द आदि में भी लाभदायी है | प्रसव के पश्चात पुदीने का सेवन करने से गर्भाशय
को शक्ति मिलती है तथा दूध की वृद्धि होती है, साथ ही प्रसूति-ज्वर से रक्षा होती
है | मुख की दुर्गंध दूर करने के लिए इसके रस या अर्क को पानी में मिला के कुल्ले
करने चाहिए |
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ऋषिप्रसाद – जुलाई २०१९
से
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