Search This Blog

Monday, July 22, 2019

वर्षा ऋतू के विविध रोगों में लाभदायी पुदीना


वर्षा ऋतू में वात दोष कुपित हो जाता है और पाचनशक्ति अधिक दुर्बल हो जाती है | इस ऋतू  में वात-पित्तजनित व अजीर्णजन्य रोगों का प्रार्दुभाव होता है | दस्त, पेचिश, मंदाग्नि, अफरा, गठिया, संधियों में सूजन आदि बीमारियाँ होने की सम्भावना रहती है | अत: इस ऋतू में वातशामक व जठराग्नि-प्रदीपक पदार्थों का सेवन करना लाभदायी है |

पुदीना एक ऐसी औषधि है जो अपने वात-कफशामक व पाचक गुणों के कारण वर्षा ऋतू में होनेवाले अनेक रोगों में गुणकारी है | इसमें रोगप्रतिकारक शक्ति तथा पाचक रसों को उत्पन्न करने का विशेष गुण है | यह रुचिकारक, स्फूर्ति व प्रसन्नता वर्धक है | 

पुदीने के इन गुणों का लाभ सहज में पा सकें इस उद्देश्य से संत श्री आशारामजी आश्रम की समितियों के सेवाकेन्द्रों पर पुदीना अर्क उपलब्ध कराया गया है | 

यह अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, अजीर्ण, दस्त, उलटी, संग्रहणी, पेचिश, पेटदर्द आदि में भी लाभदायी है | प्रसव के पश्चात पुदीने का सेवन करने से गर्भाशय को शक्ति मिलती है तथा दूध की वृद्धि होती है, साथ ही प्रसूति-ज्वर से रक्षा होती है | मुख की दुर्गंध दूर करने के लिए इसके रस या अर्क को पानी में मिला के कुल्ले करने चाहिए |


-            ऋषिप्रसाद – जुलाई २०१९ से

No comments: