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Monday, July 22, 2019

औषधीय रूप से भी महत्वपूर्ण है – दूर्वा



भारतीय संस्कृति में दूर्वा (दूब) को पवित्र माना जाता है एवं धार्मिक कार्यों में इसका उपयोग पूजन-सामग्री के रूप में किया जाता है | यह न केवल धार्मिक दृष्टि से उपयोगी है बल्कि औषधीय रूप से भी महत्वपूर्ण है | दूर्वा दो प्रकार की होती है – श्वेत और हरी |

हरी दूब शीतल, पचने में हलकी, कसैली, मधुर एवं रक्तशुद्धिकर, मूत्रवर्धक व कफ-पित्तशामक होती है | आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार इसमें विटामिन ‘सी’ व फॉस्फोरस, मैग्नेशियम, कैल्सियम, पोटैशियम, सोडियम आदि खनिज तत्त्व पाये जाते हैं |

यह प्यास की अधिकता, जलन, विसर्प आदि में लाभप्रद है | शरीर में बढ़ी हुई भारी उष्णता को कम करने एवं शरीर को बल देने का बड़ा गुण दूर्वा में है | भगवान को अर्पण करने के निमित्त दुर्वा का स्पर्श होता है | इससे सहज में ही शरीर की उष्णता कम होती है | दूर्वा को पानी में ४ घंटे रख के वह पानी पीने से उष्णता कम होती है |

घाव को भरने व जलन को कम करने के गुण के कारण जख्म, फोड़ा, बवासीर, चर्मरोग आदि में दूर्वा के रस का लेप करना लाभदायी है | शीतपित्त, पित्त के कारण होनेवाला सिरदर्द आदि में इसका लेप करें |

दुर्वा का ताजा रस पुराने अतिसार व पतले दस्तों में उपयोगी है | इसके सेवन से पेचिस, सूजाक, रक्तपित्त तथा दिमागी कमजोरी, उन्माद, मिर्गी आदि मानसिक रोगों में लाभ होता है | मधुमेह, अल्सर आदि बीमारियों में भी यह लाभदायी है |

औषधीय प्रयोग

१] मासिक धर्म का अधिक आना व गर्भपात : दूर्वा का १० मि.ली. रस मिश्री के साथ सुबह-शाम कुछ दिनों तक लगातार लेने से मासिक धर्म का अधिक आना तथा बार-बार गर्भपात होना आदि समस्याओं में लाभ होता है | इससे गर्भाशय को शक्ति प्राप्त होती है तथा गर्भ को पोषण मिलता है |

२] खून बवासीर : दूर्वा के १० मि.ली. रस में २ ग्राम नागकेसर चूर्ण मिला के सुबह-शाम लेने से बवासीर में बहानेवाला खून बंद हो जाता है |

३] शीतपित्त : दूर्वा और हल्दी को पीसकर रस निकल के पूरे शरीर पर लेप करने से शीतपित्त में लाभ होता है |

४] रक्तप्रदर : मासिक धर्म में अत्यधिक रक्तस्त्राव होने पर दूर्वा के आधा कप रस में मिश्री मिला के सुबह-शाम लें |

५] पेशाब के साथ खून आना : दूर्वा के १५ – २० मि.ली. रस में मिश्री मिला के दिन में दो बार पियें |

६] आँव पड़ना : आँव पड़ने व पेटदर्द की समस्या में दूर्वा के ३ – ४ चम्मच रस में एक चुटकी सोंठ चूर्ण मिला के दिन में दो बार पीने से लाभ होता है |

ध्यान दें : उपरोक्त सभी लाभ देशी दूर्वा के हैं, न कि भू-सुदर्शनीकरण में काम आनेवाली संकरित घास के | दूर्वा शीतल होने से अल्प मात्रा में ही लें |

लोककल्याणसेतु – जुलाई २०१९ से

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