भाद्रपद मास की शुक्ल
चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन से कलंक लगता है | इस वर्ष गणेश चतुर्थी (२ सितम्बर ) के
दिन चन्द्रास्त रात्रि ९:२६ बजे है |
अत: इस समय तक चन्द्र-दर्शन न करें | यदि भूल
से चन्द्रमा दिख जाय तो श्रीमदभागवत के १०वें स्कंध के ५६-५७ वें अध्याय में दी
गयी ‘स्यमंतक मणि की चोरी’ की कथा का आदरपूर्वक पठन-श्रवण करें | इससे अच्छी तरह
कुप्रभाव मिटता है |
तृतीया (१ सितम्बर ) तथा पंचमी (३ सितम्बर) के चन्द्रमा का
दर्शन कर लें, यह कलंक-निवारण में मददरूप है |
(अधिक जानकारी हेतु
आश्रम की समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध पुस्तक ‘क्या करें, क्या न करें ?’
का पृष्ठ ४९ देखें |)
ऋषिप्रसाद
– अगस्त २०१९ से
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