क्या करें
१] भोजन नियमित समय
पर ( सुबह ९ से ११ तथा शाम को ५ से ७ बजे के बीच ), सीमित मात्रा में, पचने में
हलका व रुक्ष करें | सलाद व सब्जियों का उपयोग अधिक करें | गेहूँ का उपयोग कम
करें, जौ, ज्वार या बाजरे की रोटी लें |
२] प्राणायाम, आसन,
तेजी से चलना या दौड़ना, तैरना आदि व शारीरिक श्रम नियमित करें | सप्ताह में एक दिन
उपवास जरुर करें |
३] तखत पर पतला
बिस्तर बिछाकर सोना, तिल या सरसों के तेल से मालिश करना व सामान्यतया लम्बे-गहरे
श्वास लेना लाभकारी हैं |
४] प्रात:काल गुनगुने पानी में शहद तथा नींबू का
रस मिलाकर लें | गर्म-गर्म अन्न, गर्म पानी तथा चावल के माँड का सेवन करें |
५] शहद, आँवला चूर्ण,
गोमूत्र अर्क, त्रिफला चूर्ण, शुद्ध शिलाजीत, तथा सोंठ आदि का सेवन हितकारी है |
[ ये सभी उत्पाद आश्रम की समितियों के
सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध हैं |]
क्या न करें
१] पचने में भारी,
मधुर व शीतल आहार का सेवन, अधिक मात्रा में भोजन व निद्रा तथा व्यायाम व परिश्रम
का अभाव आदि कारणों से शरीर स्थूल होता है | अत: इनसे बचें |
२] दिन में सोना,
लगातार बैठे रहना, देर रात को भोजन करना, भोजन में नमक का अधिक प्रयोग, गद्दों पर
तथा ए.सी. या कूलर की हवा में सोना, आरामप्रियता आदि का त्याग करें |
३] कार्बोहाइड्रेट की
अधिकतावाले पदार्थ जैसे – चावल, शक्कर, गुड़, आलू, शकरकंद व इनसे बने हुए व्यंजन
तथा स्निग्ध पदार्थ जैसे –घी, तेल व इनसे बने हुए पदार्थ एवं दही, दूध से बने खोया
(मावा), मिठाई आदि व्यंजन और सूखे मेवे व फास्ट फ़ूड के सेवन से बचें |
४] अधिक तनाव भी अति
स्थूलता का कारण हो सकता है अत: इससे बचें | इसके लिए सत्संग, ध्यान आदि का आश्रय
लें |
५] बार-बार खाने तथा
भोजन के बाद तुरंत नींद लेने या स्नान करने से बचें | (अति भुखमरी भी न करें |)
ऋषिप्रसाद
– अगस्त २०१९ से
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