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Wednesday, August 28, 2019

स्वास्थ्यवर्धक एवं पथ्यकर करेला


करेला कड़वा, पित्त व कफ शामक, रक्तशुद्धिकर, मल-निस्सारक एवं मूत्रजनन है | करेले की सब्जी खाने या रस पीने से पाचनशक्ति मजबूत होती है | रक्ताल्पता में इसके रस का सेवन करना हितकारी है | जले हुए स्थान पर इसके रस का लेप करने से जलन शांत होती है | यह अरुचि, भूख की कमी, आमदोष, कृमि, रक्तविकार, खून की कमी, खाँसी, दमा, मासिक धर्म की कमी, मोटापा आदि में लाभदायी है |

सूजन, गठिया, वातरक्त, यकृत व तिल्ली की वृद्धि एवं पुराने चर्मरोग, बुखार, अजीर्ण, मधुमेह, बवासीर, वातरोग, प्रमेह (मूत्र-संबंधी विकारों ), शरीर में दर्द, हाथीपाँव, घेंघा, सूजाक, विसर्प, मुँह व कान के रोग, नेत्रदृष्टि की कमजोरी, कफजन्य रोगों आदि में करेले की सब्जी का सेवन लाभकारी है |

मधुमेह में यह उत्तम कार्य करता है | इससे रक्तगत शर्करा कम होती है तथा सूक्ष्म मल एवं आमदोष का नाश होता है तथा सूक्ष्म मल एवं आमदोष का नाश होता है | यकृत तथा आमाशय की क्रिया सुधरती है तथा अग्न्याशय उत्तेजित होकर इंसुलिन का स्राव बढ़ता है |

आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार करेले में विटामिन ए, बी, सी तथा कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह आदि खनिज पाये जाते हैं |

औषधीय प्रयोग
१] संधिवात व गठिया में : करेलों को आग पर भून के भुरता बनाकर दिन में एक बार १०० ग्राम तक यह भुरता खायें | १० दिन तक यह प्रयोग करने से स्नायुगत वात, संधिवात आदि में लाभ होता है | करेले के रस को गर्म करके दर्दवाले स्थान पर प्रतिदिन २ – ३ बार लेप करना भी लाभदायी है |
२] तिल्ली की वृद्धि : १ कप पानी में करेले का २५ मि.ली. रस मिला के दिन में १ – २ बार पीने से तिल्ली का बढ़ना कम हो जाता है |
] अम्लपित्त : करेले के भुरते में सेंधा नमक मिला के भोजन के साथ खाने से अम्लपित्त दूर होता है |
४] मोटापा : करेले के २० – ३० मि.ली. रस में एक नींबू का रस मिला के सुबह सेवन करने से मोटापा कम होता है |
५] मंद बुखार, शरीर में दर्द, भूख न लगना व आँखे भारी होना : करेले के छोटे-छोटे टुकड़े करके रातभर ठंडे पानी में भिगोकर रखें | इस पानी को दिनभर में थोडा-थोडा पिये तो लाभ होता है |
६] मधुमेह : करेलों को काट के कुछ देर तक पैरों से कुचलें | यह प्रयोग मधुमेह में बहुत लाभकारी है | ( प्रयोग – विधि जानने हेतु पढ़ें ऋषिप्रसाद, दिसम्बर २०१८ का पृष्ठ ३२ )

विशेष : प्राय: सब्जी बनाते समय करेले के हरे छिलके व कड़वा रस निकाल दिया जाता है | इससे करेले के गुण बहुत कम हो जाते हैं अत: छिलके उतारे बिना तथा कड़वापन दूर किये बिना सब्जी बनानी चाहिए |
ऋषिप्रसाद – अगस्त २०१९ से

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