मनु महाराज कहते हैं
कि किसी स्त्री को दीर्घजीवी, यशस्वी, बुद्धिमान, धनवान, संतानवान (
पुत्र-पौत्रादि संतानों से युक्त होनेवाला), सात्त्विक तथा धर्मात्मा पुत्र चाहिए
तो श्राद्ध करे और श्राद्ध में पिंडदान के समय बीच का ( पितामह संबंधी) पिंड उठाकर
उस स्त्री को खाने को दे दिया | ‘आधत्त पितरो गर्भ कुमारं पुष्करस्त्रजम |’ (पितरो
! आप लोग मेरे गर्भ में कमलों की माला से अलंकृत एक सुंदर कुमार की स्थापना करें
|) इस मंत्र को प्रार्थना करते हुए स्त्री पिंड को ग्रहण करे |
श्रद्धा-भक्तिपूर्वक यह विधि करने से उपरोक्त गुणोंवाला बच्चा होगा |
(इस प्रयोग हेतु पिंड
बनाने के लिए चावल को पकाते समय उसमें दूध और मिश्री भी डाल दें | पानी एवं दूध की
मात्रा उतनी ही रखें जिससे उस चावल का पिंड बनाया जा सके | पिंडदान – विधि के समय
पिंड को साफ़-सुथरा रखें | उत्तम संतानप्राप्ति के इच्छुक दम्पति आश्रम की समितियों
के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध पुस्तक दिव्य शिशु संस्कार अवश्य पढ़ें |)
ऋषिप्रसाद
– अगस्त २०१९ से
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