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Wednesday, August 4, 2021

स्वास्थ्यवर्धक एवं उत्तम पथ्यकर ‘परवल’

 


आयुर्वेद के अनुसार परवल स्निग्ध, उष्ण, पचने में हल्का, पाचक, रुचिकर एवं त्रिदोषशामक है | यह बल-वीर्यवर्धक, ह्रदय-हितकर व रक्तशुद्धिकर है | यह कफ, बुखार व कृमि का नाश तथा अपानवायु एवं मल-मूत्र का निष्कासन करनेवाला है |

 

परवल अजीर्ण, अम्लपित्त, पीलिया तथा यकृत व पेट के रोग, त्वचारोग, बवासीर, सूजन, रक्तपित्त आदि में लाभदायी है |

 

आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार परवल में प्रोटीन और विटामिन ‘ए’ प्रचुर मात्रा में पाया जाते हैं | साथ ही इसमें विटामिन ‘सी, रेश तथा कैल्शियम, मैग्नेशियम , फॉस्फोरस, सोडियम, पोटैशियम, लोह, सल्फर आदि तत्त्व भी पाये जाते हैं | मधुमेह तथा कोलेस्ट्रॉल की वृद्धि में इसका सेवन लाभदायी है |

 

घी में जीरे का छौंक लगा के बनायी गयी परवल की सब्जी पाचन-तंत्र को सुधारने में लाभदायी है क्योंकि इसमें दीपन (भूखवर्धक) व पाचन गुण पाये जाते हैं |यह कब्ज में भी लाभकारी है |

 

तृप्तिकारक व सुपाच्य सूप

पौष्टिक तथा शीघ्र पचनेवाला होने से परवल रोगियों के लिए उत्तम पथ्यकर है | सूप बनाने के लिए परवल के टुकड़ों को १६ गुना पानी में उबालें | उबालते समय इसमें अदरक, काली मिर्च, जीरा, धनिया व सेंधा नमक डालें | चौथाई भाग जल शेष रहने पर छानकर पिलायें | यह सूप पचने में हलका, तृप्तिकारक एवं शक्तिवर्धक है,  साथ ही यह आमदोष (कच्चा रस) दूर करने में लाभदायी है |

 

शरीर में कफ बढ़ जाने से भूख नहीं लगती हो तथा भोजन की इच्छा न हो तो इस सूप में थोड़ी-सी भुनी हुई हींग व भुनी हुई अजवायन का चूर्ण मिला लें | इस सूप का ३-४ दिन नियमित सेवन करने से लाभ होगा |

 

बार-बार या अधिक प्यास लगती हो तो परवल उबालकर उसमें सेंधा नमक मिला के सेवन करना लाभदायी है |

 

ऋषिप्रसाद – अगस्त २०२१ से

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