१७ अगस्त : विष्णुपदी संक्रांति ( पुण्यकाल : सूर्योदय से
दोपहर १२:४६ तक) (ध्यान, जप व पुण्यकर्म का लाख गुना
फल )
१८ अगस्त : पुत्रदा एकादशी ( पुत्र की इच्छा से इसका व्रत करनेवाला पुत्र पाकर स्वर्ग का अधिकारी भी हो जाता है |)
२२ अगस्त : रक्षाबंधन ( इस दिन धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है | इसे वर्ष में एक बार धारण करने से मनुष्य वर्षभर रक्षित हो जाता है | - भविष्य पुराण )
२९ अगस्त : रविवारी सप्तमी ( सूर्योदय से रात्रि ११:२६ तक)
३० अगस्त : अजा एकादशी ( समस्त पापनाशक व्रत, माहात्म्य पढने-सुनने से अश्वमेध यज्ञ का फल )
६ सितम्बर : सोमवती अमावस्या (सुबह ७:३९ से ७ सितम्बर सुबह ६:२२ तक ) ( तुलसी की १०८ परिक्रमा करने से दरिद्रता - नाश )
१० सितम्बर : गणेश चतुर्थी, चन्द्र – दर्शन निषिद्ध ( चंद्रास्त
: रात्रि ९:२० ) ( इस दिन ‘ॐ गं गणपतये नम: |’ का जप करने और गुड़मिश्रित जल से
गणेशजी को स्नान कराने एवं दुर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्न- निवारण होता
है तथा मेधाशक्ति बढती है | इस दिन चन्द्र-दर्शन से कलंक लगता हिया | यदि भूल से
भी चन्द्रमा दिख जाय तो उसके कुप्रभाव को मिटाने के लिए shorturl.at/koKY3 इस लिंक पर दी गयी ‘स्यमंतक मणि की चोरी की कथा’
पढ़ें तथा ब्रह्मवैवर्त पुराण के निम्नलिखित मंत का २१, ५४,
या १०८ बार जप करके पवित्र किया हुआ जल पियें |
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष
स्यमन्तक: ||
१२ सितम्बर : रविवारी सप्तमी (
शाम ५:२२ से १३ सितम्बर सूर्योदय तक )
ऋषिप्रसाद – अगस्त २०२१
से
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