लाभ
: १) बढ़ा हुआ वात, कफ ठीक होता है, तिल्ली व यकृत वृद्धि में भी लाभदायक है |
२)
पाचनशक्ति बढने के साथ पेट के अन्य विकार भी दूर होते है |
३)
मणिपुर चक्र को सक्रिय करने में मदद करता है |
४)
वजन कम करने में लाभदायी है |
विधि
: पद्मासन में बैठ जायें, फिर दोनों नथुनों से श्वास को पूरी तरह बाहर निकाल दें |
अब उड्डीयान बंध लगायें अर्थात पेट को अंदर की ओर खींचे तथा दोनों हाथों से
पसलियों के निचले भाग में पेट के दोनों पार्श्वो ( बाजूवाले भागों ) को पकड़कर
बलपूर्वक दबा लें | यथाशक्ति इसी स्थिति में रहें, फिर सामान्य स्थिति में आ जायें
और धीरे – धीरे श्वास ले लें | पाँच – सात बार इसे दोहरायें |
स्त्रोत
– ऋषिप्रसाद अप्रैल २०१६ से
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