चंचलता
– निवारण करने का अपना विचार होता है तो आदमी बहुत ऊँचा उठ जाता है | चंचलता ध्यान
के द्वारा कम होती है | लम्बा श्वास लेकर दीर्घ प्रणव ( ॐकार ) का जप करो | जितना
समय उच्चारण में लगे उतनी देर शांत हो जाओ | आप अपने शुद्ध ज्ञान में स्थित होंगे
तो चारों प्रकार की चंचलता आसानी से मिट जायेगी, उससे होनेवाली शक्तियों का ह्रास
रुक जायेगा |
१०
से १२ मिनट तक ॐकार गुंजन करने तथा ॐकार मंत्र का अर्थसहित ध्यान करने से हारे को
हिम्मत, थके को विश्रांति मिलती है, भूले को अंतरात्मा मार्गदर्शन करता है |
विद्युत् का कुचालक आसन बिछा दे, १० – १५
मिनट तक ध्यान करे और एकटक भगवान या गुरु की प्रतिमा अथवा ॐकार को देखता जाय तो
साधारण – से – साधारण व्यक्ति भी इन चंचलताओं से ऊपर उठ जायेगा | बात को खींच - खींचकर लम्बी करने की गंदी आदत छूट जायेगी | मधुर वाणी, सत्य वाणी, हितकर वाणी
जैसे सदगुण स्वाभाविक उत्पन्न होने लगेंगे |
यह
प्रयोग करने से चारों प्रकार की चंचलताएँ छुट जायेंगी, व्यसन छोड़ने नही पड़ेंगे,
अपने – आप भाग जायेंगे | चिंता भगाने के लिए कोई दूसरे नये उपाय नहीं करने पड़ेंगे |
बुद्धिदाता की कृपा हो तो अल्प बुद्धिवाला भी अच्छी बुद्धि का धनी हो जायेगा |
स्त्रोत
– ऋषिप्रसाद एप्रिल २०१६ से
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