लाभ
: १) धारणा, ध्यान आदि साधनाभ्यास में इस आसन में बैठने से तन्द्रा, निद्रा, आलस्य,
जड़ता, प्रमाद आदि का अभाव रहता है |
२)
इस आसन में दीर्घकाल तक बैठने से प्राणोंत्थान होने लगता है और कुंडलिनी जागरण की
सम्भावना भी हो जाती है |
विधि
: पहले पद्मासन लगाकर सीधे बैठ जायें | उसके बाद दोनों हाथों की हथेलियाँ दोनों
पैरों के तलवों पर इस प्रकार रखें कि हाथों की उँगलियाँ पेट की ओर रहें | फिर भौहों को थोडा ऊपर उठा के दृष्टि
को भ्रूमध्य में या नाक के अग्र भाग पर स्थिर करें | श्वासोच्छ्वास की गति स्वाभाविक
रखें |
स्त्रोत
– लोककल्याण सेतु – अप्रैल २०१६ से
No comments:
Post a Comment