लवण (खारा) रस : यह स्निग्ध, उष्ण,
तीक्ष्ण, पित्तवर्धक, वातशामक व कफ पिघलनेवाला होता है |
o यह भूख, लार-स्त्राव वर्धक, पाचक स्त्रावों का निर्माता
होने से पाचक, मल-मूत्र लानेवाला तथा फेफड़ों, आँतों आदि में संचित कफ, मल आदि को
निकालनेवाला है |
o अंगों की जकड़न, कठिनता, अवरोध व संचित दोषों को दूर कर
उन्हें कोमल बनाता है |
लवण रसयुक्त पदार्थ : सभी प्रकार के नमक (सेंधा, समुद्री आदि) व क्षार |
इसके अति सेवन से
होनेवाली समस्याएँ :
१] पित्त-प्रकोप होकर
रक्त दूषित होने से बार-बार प्यास लगना, आँखों के आगे अँधेरा छाना, मूर्च्छा आदि |
२] दाँत ढीले हो के
गिरना, बाल सफेद होकर झड़ना, त्वचा पर झुरियाँ पड़ना और कांति नष्ट होना तथा आँख,
कान,जीभ आदि ज्ञानेंद्रियों की शक्ति क्षीण होना |
३] बल, ओज तथा
रोगप्रतिकारक शक्ति का नाश | शुक्र धातु पतली होने से स्वप्नदोष, पुंसत्वनाश जैसी
व्याधियाँ |
४] अनेक त्वचा-रोग, सूजन
व उच्च रक्तचाप (hypertension) जैसी व्याधियाँ |
उपरोक्त समस्याएँ होने
पर नमक का सेवन पूर्णत: बंद कर कडवे, कसैले व मधुर पदार्थो का सेवन करें |
ध्यान दें : १] नमकीन पदार्थ पित्त-प्रकोपक होते हैं परंतु सेंधा नमक
इसका अपवाद है | इसके सिवा अन्य सभी नमक आँखों के लिए हानिकारक हैं |
२] ज्यादा नमक खानेवाले
व्यक्ति शारीरिक-मानसिक क्लेश व रोग आदि का प्रहार सहने में सक्षम नही होते | वे
जल्दी थक जाते हैं |
ऋषिप्रसाद – फरवरी २०१८ से
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