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Tuesday, April 3, 2018

चटोरेपन में स्वास्थ्य को न खोयें

मिठाइयाँ व फास्ट फूड का शौक कुप्रवृतियों का कारण है | डॉ. ब्लोच लिखते हैं की मिठाई का शौक जल्दी कुप्रवृतियों की ओर प्रेरित करता है | जो बच्चे मिठाई के ज्यादा शौक़ीन होते हैं उनके पतन की ज्यादा सम्भावना रहती है और दूसरे बालकों की अपेक्षा वे हस्तमैथुन जैसे कुकर्मों की ओर जल्दी खिंच जाते हैं | तो बल व ओज-तेज के रक्षण हेतु कितना जरूरी है मिठाइयों से बचना !

मैदा और प्राणिज वसा (एनिमल फैट ) के संयोग से बननेवाले बेकरी के पदार्थ जैसे – विभिन्न प्रकार के ब्रेड, बिस्कुट, पाँव, नानखताई, पीजा, बर्गर आदि एवं बेकिंग पाउडर डाल के बनाये जानेवाले पदार्थ जैसे – नुडल्स आदि तथा सैकरीन से बनाये गये बाजारू पदार्थ जैसे – आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स, शरबत आदि तथा मिठाइयाँ – ये सब खाने में तो स्वादिष्ट लगते हैं परन्तु स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं | पाचन में अत्यंत भारी ऐसे पदार्थ व मिठाइयाँ खाने से कब्ज एवं मंदाग्नि होती है, जो सब रोगों का मल है | मंदाग्नि होने से सातवीं धातु (वीर्य) कैसे बन सकती हैं ? अत: अंत में नपुंसकता आ जाती हैं !

ये पदार्थ बल, बुद्धि और स्वास्थ्य के नाशक, रोगकारक एवं तमोगुण बढ़ानेवाले होते हैं | अत: इनसे आप भी बचें, औरों को भी बचायें |

ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०१८ से 

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