मिठाइयाँ व फास्ट फूड का
शौक कुप्रवृतियों का कारण है | डॉ. ब्लोच लिखते हैं की मिठाई का शौक जल्दी
कुप्रवृतियों की ओर प्रेरित करता है | जो बच्चे मिठाई के ज्यादा शौक़ीन होते हैं
उनके पतन की ज्यादा सम्भावना रहती है और दूसरे बालकों की अपेक्षा वे हस्तमैथुन
जैसे कुकर्मों की ओर जल्दी खिंच जाते हैं | तो बल व ओज-तेज के रक्षण हेतु कितना
जरूरी है मिठाइयों से बचना !
मैदा और प्राणिज वसा
(एनिमल फैट ) के संयोग से बननेवाले बेकरी के पदार्थ जैसे – विभिन्न प्रकार के
ब्रेड, बिस्कुट, पाँव, नानखताई, पीजा, बर्गर आदि एवं बेकिंग पाउडर डाल के बनाये
जानेवाले पदार्थ जैसे – नुडल्स आदि तथा सैकरीन से बनाये गये बाजारू पदार्थ जैसे –
आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स, शरबत आदि तथा मिठाइयाँ – ये सब खाने में तो स्वादिष्ट
लगते हैं परन्तु स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं | पाचन में अत्यंत भारी ऐसे
पदार्थ व मिठाइयाँ खाने से कब्ज एवं मंदाग्नि होती है, जो सब रोगों का मल है |
मंदाग्नि होने से सातवीं धातु (वीर्य) कैसे बन सकती हैं ? अत: अंत में नपुंसकता आ
जाती हैं !
ये पदार्थ बल, बुद्धि और
स्वास्थ्य के नाशक, रोगकारक एवं तमोगुण बढ़ानेवाले होते हैं | अत: इनसे आप भी बचें,
औरों को भी बचायें |
ऋषिप्रसाद – अप्रैल २०१८ से
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