प्रात:काल
३ से ५ बजे के बीच प्राणशक्ति (जीवनी शक्ति) फेफड़ों में होती है | यह समय
प्राणायाम द्वारा प्राणशक्ति, मन:शक्ति, बुद्धिशक्ति विकसित करने हेतु बेजोड़ है |
इस समय प्राणायाम करना बहुत जरूरी है | सुबह ५ बजे के पहले प्राणायाम अवश्य हो
जाने चाहिए | इससे कई गुना फायदा होगा | ४ से ५ बजे का समय जागरण, ध्यान,
प्राणायाम करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है अत: इसका लाभ लें |
इन्द्रियों
का स्वामी मन है और मन का स्वामी प्राण है | प्राणायाम करने से प्राण तालबद्ध होते
हैं | प्राण तालबद्ध होने से मन की दुष्टता और चंचलता नियंत्रित होती है |
प्रात:
४ से ५ के बीच ३ – ४ अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें – दायें नथुने से श्वास लिया,
बायें से छोड़ा व बायें से लिया, दायें से छोड़ा | फिर आभ्यंतर-बहिर्कुम्भक
प्राणायाम करें |
विधि :
गहरा श्वास लेकर उसे १०० सेकंड तक भीतर रोकें | फिर श्वास धीरे-धीरे बाहर छोड़ दें
और स्वाभाविक २ – ४ श्वास लें | फिर पूरा श्वास बाहर निकालकर ७०-८० सेकंड तक बाहर
ही रोके रखें | बाह्य व आभ्यंतर कुम्भक मिलाकर यह १ प्राणायाम हुआ | ऐसे कम-से-कम
३ -५ प्राणायम अवश्य करने चाहिए | ( नये अभ्यासक इन कुम्भकों में समयाविधि
धीरे-धीरे बढ़ाते हुए दिये गये समय तक पहुँचे |) बुद्धिशक्ति-मेधाशक्तिवर्धक
प्राणायाम भी करें |
(विधि
आश्रम के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध पुस्तक ‘दिव्य-प्रेरणा –प्रकाश’ (पृष्ठ ३५ ) में
| )
यह
स्वास्थ्यबल , मनोबल, रोगप्रतिकारक बल बढ़ाने की कुंजी है |
-ऋषिप्रसाद – दिसम्बर
२०१८ से
No comments:
Post a Comment