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Tuesday, December 11, 2018

स्वास्थ्यबल, मनोबल व रोगप्रतिकारक बल बढ़ाने की कुंजी


प्रात:काल ३ से ५ बजे के बीच प्राणशक्ति (जीवनी शक्ति) फेफड़ों में होती है | यह समय प्राणायाम द्वारा प्राणशक्ति, मन:शक्ति, बुद्धिशक्ति विकसित करने हेतु बेजोड़ है | इस समय प्राणायाम करना बहुत जरूरी है | सुबह ५ बजे के पहले प्राणायाम अवश्य हो जाने चाहिए | इससे कई गुना फायदा होगा | ४ से ५ बजे का समय जागरण, ध्यान, प्राणायाम करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है अत: इसका लाभ लें |

इन्द्रियों का स्वामी मन है और मन का स्वामी प्राण है | प्राणायाम करने से प्राण तालबद्ध होते हैं | प्राण तालबद्ध होने से मन की दुष्टता और चंचलता नियंत्रित होती है |

प्रात: ४ से ५ के बीच ३ – ४ अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें – दायें नथुने से श्वास लिया, बायें से छोड़ा व बायें से लिया, दायें से छोड़ा | फिर आभ्यंतर-बहिर्कुम्भक प्राणायाम करें |

विधि : गहरा श्वास लेकर उसे १०० सेकंड तक भीतर रोकें | फिर श्वास धीरे-धीरे बाहर छोड़ दें और स्वाभाविक २ – ४ श्वास लें | फिर पूरा श्वास बाहर निकालकर ७०-८० सेकंड तक बाहर ही रोके रखें | बाह्य व आभ्यंतर कुम्भक मिलाकर यह १ प्राणायाम हुआ | ऐसे कम-से-कम ३ -५ प्राणायम अवश्य करने चाहिए | ( नये अभ्यासक इन कुम्भकों में समयाविधि धीरे-धीरे बढ़ाते हुए दिये गये समय तक पहुँचे |) बुद्धिशक्ति-मेधाशक्तिवर्धक प्राणायाम भी करें |

(विधि आश्रम के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध पुस्तक ‘दिव्य-प्रेरणा –प्रकाश’ (पृष्ठ ३५ ) में | )
यह स्वास्थ्यबल , मनोबल, रोगप्रतिकारक बल बढ़ाने की कुंजी है |

-ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०१८ से      

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