आरोग्यप्रद नीम
रात को भी नीम की हवा
आरोग्यप्रद है | ब्रह्मचर्य पालने में और पित्त-शमन करने में नीम का रस बड़ा काम
करता है | जिनको पित्त, गर्मी या चमड़ी की तकलीफें हैं या रक्तस्त्राव बार-बार होता
है, वे नीम की दातुन करके उसका रस लें तो इनमें राहत मिलेगी, नकसीर फूटना या
बवासीर के मस्से या अन्य अंग से रक्त बहना कम हो जायेगा | नीम के पत्ते भी फायदा
करते हैं |
चैत्र मास में नीम के
फूलों का रस १५-२० दिन लेने से वर्षभर रोगप्रतिकारक शक्ति आपके साथ रहेगी |
निबौलियाँ (नीम के फल) सुखा के उनका चूर्ण बना लिया | २०-२५ ग्राम चूर्ण लेकर पानी
में उबाला, काढ़ा बन गया, फिर दूसरा थोडा पानी डाल के उससे नहा लिया | ५ दिन ही
नहाना है, तबियत खुश हो जायेगी | रोमकूपों में नीम का असर आयेगा | पाप और शरीर के
दोष मिटेंगे | अगर पेट की तकलीफें हैं तो इसी काढ़े में से एक आचमन पी भी लो, देखो
क्या जादू होता है ! इससे कड़वे रस की कमी की पूर्ति हो जायेगी | प्राय: लोग तीखा,
खट्टा, खारा, कसैला तो खाते हैं और मीठा तो दबा के खाते हैं, लेकिन कड़वा रस नहीं
लेते | शरीर में षडरसों का असंतुलन होता है तभी शरीर बीमार होता है | इस काढ़े को
पीने से इनका संतुलन बन जायेगा | कैसी चिकित्सा खोजी महापुरुषों ने !
कभी-कभी रात्रि को घर
में नीम का धुआँ करना सुखदायी होता है |
पुण्यदायी आँवला
शास्त्रों में आँवले
के वृक्ष की बड़ी भारी महिमा वर्णित है | आँवला सृष्टि का आदिवृक्ष है | सृष्टि की
शुरुआत में भगवान् नारायण की प्रसादीस्वरूप जो कुछ गिरा, उसीमें से आँवले का वृक्ष
पैदा हुआ है | इसके सुमिरन से गोदान का फल होता है | स्पर्श से दोगुना और इसका फल
खाने से तिगुना फल होता है | आँवला पोषक और पुण्यदायी है | इसके वृक्ष के नीचे
ध्यान, जप करने से कोटि गुना फल होता है | हमने तो सभी आश्रमों में आँवले के वृक्ष
लगवा दिये |
स्वास्थ व समृद्धि
प्रदायक तुलसी
एक और ख़ास बात, तुलसी
बोओ | तुलसी के पौधे से जो ऑक्सीजन निकलती है वह बहुत सात्त्विक होती है, और भी
बहुत सारे फायदे हैं | आयुर्वेदिक ढंग से तो गजब के फायदे हैं लेकिन हवामान की
शुद्धि करने में भी फायदेमंद है तुलसी | सुबह तुलसी के ५-७ पत्तों का सेवन स्मृति
और रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाता है |
तुलसी के पौधे घर में
लगे हों तो हानिकारक विषाणु नही आते |
ऋषिप्रसाद
– जून २०१९ से
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