क्या करें
१] कान का मैल
निकालने के लिए सरसों या तिल का गुनगुना तेल कान में डालें व दीयासलाई की नोक पर
रुई लपेट के उससे सावधानी से कान साफ करें |
२] रात्रि में सोने
से पहले सरसों का तेल गुनगुना करके कानों में डालें व धीरे-धीरे हलके हाथों से
कनपटी की मालिश करें | इससे कान साफ व स्वस्थ रहते हैं | विजातीय द्रव्यों का
निष्कासन होता है |
३] कानों को तेज
ध्वनि, हवा आदि से बचायें | इयरफोन जैसे साधनों का सीमित, संयमित उपयोग करें |
यथासम्भव कोलाहल से बचें |
४] कान के रोगों में
सूर्यस्नान, मौन, संयम आदि का पालन विशेष लाभदायी है |
५] कानों पर
सर्दी-गर्मी का असर अधिक होता है अत: अतिशय गर्मी या सर्दी में कानों को ढक लेना
चाहिए |
क्या न करें
१] कान में दर्द या
खुजली होने पर उसमें पेंसिल, तीली या कोई भी नुकीली चीज भूलकर भी न डालें | किसी
भी हालत में कान कुरेदने नहीं चाहिए | कान में फूँक न मरवायें |
२] स्नान के समय
कानों में पानी न जाने दें |
३] बाजार में बैठे नीम
हकीमों से कान की सफाई न करवायें | असावधानी के कारण कान के पर्दे में छेद हो सकता
है |
४] कर्णरोगी के लिए
अधिक आराम व अधिक जागरण, वातानुकूलित वातावरण, अधिक चलना, ठंड तथा पंखे की हवा,
अधिक बोलना, सिर भिगोकर व ठंडे पानी से स्नान, तैरना, संसार-व्यवहार आदि हानिकारक
है |
५] आसमान में बादल
हों तब तथा बारिश के दिनों में रात को सोने से पहले कानों में तेल नहीं डालना
चाहिए |
संत श्री आशारामजी
आश्रम की समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध कर्ण बिंदु व योगी आयु तेल कानों की
सुरक्षा हेतु बहुत लाभदायी हैं |
ऋषिप्रसाद
– जून २०१९ से
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