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Sunday, June 23, 2019

कानों की सुरक्षा हेतु


क्या करें

१] कान का मैल निकालने के लिए सरसों या तिल का गुनगुना तेल कान में डालें व दीयासलाई की नोक पर रुई लपेट के उससे सावधानी से कान साफ करें |

२] रात्रि में सोने से पहले सरसों का तेल गुनगुना करके कानों में डालें व धीरे-धीरे हलके हाथों से कनपटी की मालिश करें | इससे कान साफ व स्वस्थ रहते हैं | विजातीय द्रव्यों का निष्कासन होता है |

३] कानों को तेज ध्वनि, हवा आदि से बचायें | इयरफोन जैसे साधनों का सीमित, संयमित उपयोग करें | यथासम्भव कोलाहल से बचें |

४] कान के रोगों में सूर्यस्नान, मौन, संयम आदि का पालन विशेष लाभदायी है |

५] कानों पर सर्दी-गर्मी का असर अधिक होता है अत: अतिशय गर्मी या सर्दी में कानों को ढक लेना चाहिए |

क्या न करें

१] कान में दर्द या खुजली होने पर उसमें पेंसिल, तीली या कोई भी नुकीली चीज भूलकर भी न डालें | किसी भी हालत में कान कुरेदने नहीं चाहिए | कान में फूँक न मरवायें |

२] स्नान के समय कानों में पानी न जाने दें |

३] बाजार में बैठे नीम हकीमों से कान की सफाई न करवायें | असावधानी के कारण कान के पर्दे में छेद हो सकता है |

४] कर्णरोगी के लिए अधिक आराम व अधिक जागरण, वातानुकूलित वातावरण, अधिक चलना, ठंड तथा पंखे की हवा, अधिक बोलना, सिर भिगोकर व ठंडे पानी से स्नान, तैरना, संसार-व्यवहार आदि हानिकारक है |

५] आसमान में बादल हों तब तथा बारिश के दिनों में रात को सोने से पहले कानों में तेल नहीं डालना चाहिए |

संत श्री आशारामजी आश्रम की समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध कर्ण बिंदु व योगी आयु तेल कानों की सुरक्षा हेतु बहुत लाभदायी हैं |

ऋषिप्रसाद – जून २०१९ से

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