सुबह खाली पेट दक्षिण
या पूर्व की तरफ सिर करके सीधे लेट गये | श्वास बाहर निकाल दिया और मल-त्याग करने
की इन्द्रिय (गुदा) का संकोचन-विस्तारण किया | एक बार श्वास बाहर रोक के करने से
३५ बार हो जाता है | ऐसे ३ बार करेंगे तो करीब १०० बार हो जायेगा | इसे
‘स्थलबस्ती’ कहते हैं |
८० प्रकार के वायुदोष
होते हैं, ४० प्रकार की पित्त-संबंधी बीमारियाँ और २० प्रकार की कफ सबंधी
बीमारियाँ होती हैं |
स्थलबस्ती से ए १४०
प्रकार की बीमारियाँ निकट नहीं आती हैं, अगर हैं तो भाग जाती हैं | जिसके कंधे
जकड़े रहते हैं, जोड़ों में दर्द रहता है, शरीर जकड़ा रहता है वह भी स्थलबस्ती करे तो
उसको भी आराम मिलेगा | इसे करने से भक्ति में भी बरकत आयेगी, व्यक्तित्व का प्रभाव
भी बढ़ेगा, मन भी प्रसन्न रहेगा, कब्जियत भाग जायेगी और स्वप्नदोष, वीर्यक्षय आदि
रोग मिट जायेंगे |
ऋषिप्रसाद
– जून २०१९ से
No comments:
Post a Comment