हरड मनुष्यों के लिए
माता के समान हितकारी है | इसमें षडरसों में से लवण (खारा) रस छोडकर शेष सभी रस
होते हैं | अत: यह वायु, कफ व पित्त – तीनों का शमन करती है | इसे चबाकर खाने
जठराग्नि की वृद्धि, पीस के खाने से मल का शोधन व
भून के खाने से त्रिदोष-शमन होता है तथा उबाल के खाने पर यह मल को रोकती है |
सेंधा नमक के साथ खाने से कफ-संबंधी, मिश्री के साथ खाने से पित्त-संबंधी, घी के
साथ खाने से वायु-संबंधी रोग और गुड़ के साथ खाने से यह समस्त व्याधियों को दूर करनेवाली
होती है |
हरड रसायन योग
हरड व गुड़ के
सम्मिश्रण से बना ‘हरड रसायन योग’ त्रिदोषशामक व शरीर को शुद्ध करनेवाला उत्तम
रसायन है | इसको चूसकर सेवन करने से भूख खुलती है | अजीर्ण, अम्लपित्त, संग्रहणी,
पेटदर्द, अफरा, कब्ज आदि पेट के विकार दूर होते हैं | छाती व पेट में संचित कफ को
यह नष्ट करता है | अत: दमा, खाँसी व गले के विविध रोगों में भी यह लाभदायी है |
इसके नियमित सेवन से बवासीर, आमवात, वातरक्त (gout), कमरदर्द,
जीर्णज्वर, गुर्दों (kidneys) के रोग, रक्ताल्पता (anaemia) व यकृत – विकारों में लाभ होता है | यह ह्रदय के लिए बलदायक व श्रमहर है
|
यह योग आश्रम की
समितियों के सेवाकेन्द्रों पर ‘हरड रसायन टेबलेट’ के नाम से उपलब्ध है | विभिन्न
रोगों में लाभदायी हरड के अन्य उत्पाद ‘हरड टेबलेट’ व ‘हरडे चूर्ण’ भी
सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध हैं |
हरड रसायन टेबलेट की
सेवन – मात्रा : भोजन के दो घंटे बाद २ – २ गोलियाँ चूसकर अथवा पानी के साथ लें |
ऋषिप्रसाद
– जून २०१९ से
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