आयुर्वेद के
अनुसार आलू शीतल, रुक्ष, पचने में भारी, कफ तथा वायु को बढानेवाला एवं रक्तपित्त
को नष्ट करनेवाला है |
आचार्य चरक
ने सभी कंदों में आलू को सबसे अधिक अहितकर बताया है | इसके नियमित सेवन से कब्ज,
गैस आदि पाचनसंबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं |
आलू को तेल
में तलने से वह विषतुल्य काम करता है | तले हुए आलू के पदार्थ, जैसे – चिप्स,
पकौड़े आदि पचने में भारी व वातपित्त-कफवर्धक होते हैं | तले हुए चिप्स के ऊपर
मिर्च, राई, नमक, गरम मसाला बुरक के खाने से स्वप्नदोष, शुक्रस्त्राव, श्वेतप्रदर
आदि समस्याएँ होती हैं |
आधुनिक
संशोधनों के निष्कर्ष :
१] उच्च
तापमान पर या अधिक समय तक आलू को तेल में भूनने या तलने से उसमें स्वाभाविक ही
एक्रिलामाइड का स्तर बढ़ता है, जो कि कैंसर – उत्पादक तत्त्व सिद्ध हुआ है |
२] एक
अमेरिकन अनुसंधान के अनुसार उबला हुआ, तला हुआ, फ्रेंच फ्राइज या चिप्स आदि किसी
भी रूप में आधिक बार आलू का सेवन करने से उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ता है |
३] कुछ
शोधकर्ताओं ने तले हुए आलू के अधिक सेवन से मृत्यु-दर में वृद्धि होती पायी | इसका
सेवन मोटापा व मधुमेह का भी कारण बन सकता है |
ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०१९ से
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