अवज्ञानमहङकारों दम्भश्चैब विगर्हित: |
अहिंसा सत्यमक्रोध: सर्वाश्रमगतं तप: ||
‘किसीका अनादर करना, अहंकार दिखाना और ढोंग करना – इन दुर्गुणों की विशेष
निंदा की गयी है | किसी भी प्राणी की हिंसा न करना, सत्य बोलना और क्रोधित न होना –
यह (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ व संन्यास –इन) सभी आश्रमवालों के लिए उपयोगी
तप हैं |’
(महाभारत, शांति पर्व:१९१.१५)
लोककल्याण सेतु – सितम्बर २०१९ से
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